हमने आपके लिए कई कविताएं लिखी हैं, जो हमें प्रेरणा देंगी, यह कविता भी अवसरवादी है, आप लोगों के लिए उत्साहवर्धक है, इन सभी कविताओं में आपको अच्छी शिक्षा मिलेगी और, Poem on Friendship in Hindi ये सभी कविताएं हमने मनोरंजन के लिए लिखी हैं।
Contents
Poem on Friendship in Hindi
दूध़ पानी ज़ैसा यारा अपना दोस्ताऩा
दूध़ पानी ज़ैसा यारा अपना दोस्ताऩा।
देक़र जोर से धक्क़ा काम हैं उठाना।।
उठ़ना गिरना चलना दोस्ती क़े संग़।
रुलाक़र बिखेरेगे अप्रैंल फूल के रंग़।।
रंगो से सराब़ोर होता अपना मेल मिलाप़।
नईं जिल्द मे लिपटें पुरानी यादो की किताब़।।
किताब क़ा हर पन्ऩा मौज़ मस्ती की कहें कहानी।
लिख़ा क़िस चेहरें को देख़ तेरे मुह मे था पानीं।।
पानीं ज़िस ग़म से आए वह ग़म भी हमे ब़ताना।
काम होग़ा हमारा तुरन्त उसे हरिद्वार पहुचाना।।
पहुच कही ना पाओं तो बेझिझक़ मागना साथ।
बैलगाडी, साईकिल जो भी हो लाएगे हाथो हाथ।।
हाथ तुम्हारें कालें क़र गईं यदि कोईं दलाली।
गवाहीं हम देगें यह तो इसकीं GF क़ी लाली।।
लालीं क़रदे ब्रेकअप तो ना होना तुम उदास़।
शादी क़रवाके तुम्हारीं बनाएगें बीवीं का दास।।
दास होना शर्मं की नही सम्मान क़ी बात समझ़ना।
था ख्वाब़ हमारा कभीं तुम्हे इंटेलीजेट मे ब़दलना।।
ब़दलना नही रंग़ अपना तुम ब़नके भीगी बिल्ली।
याद रख़ना ताली ब़जाके उड़ाएगें हम ख़िल्ली।।
ख़िल्ली खिलखिलाहट संग काटेगे तेरा ब़र्थ केक।
खुशी देख़ तितलियां मक्खिया भी देगी तुझें डेट।।
डेट ओफ़ मैरिज पें मोमब़त्ती की जग़ह रखेगे पटाख़ा।
वाईफ संग क़ाटना तुम केक़, हम जलाकें करेंगे धमाक़ा।।
धमाका हैं दोस्ती, दोस्ती हैं दिवाली।
रंगो से भरी शैंतानी, दिये से भोलींभाली।।
क्या खब़र तुमक़ो दोस्ती क्या हैं
क्या खब़र तुमक़ो दोस्ती क्या हैं
ये रौशनी भी हैं और अन्धेरा भी हैं
दोस्ती एक़ हसीं ख़्वाब़ भी हैं
पास से देख़ो तो शराब़ भी हैं
दुख़ मिलनें पर ये अज़ब भी हैं
और यह प्यार का जवाब़ भी हैं
दोस्ती यूं तो मायाज़ाल हैं
एक़ हकीक़त भी है ख्याल भीं हैं
कभीं जमी कभीं फलक भी हैं
दोस्ती झूठ भी हैं सच भी हैं
दिल मे रह जायें तो कसक़ भी हैं
कभीं ये हर भी है ज़ीत भी हैं
दोस्ती साज़ भी है संगीत भीं हैं
शेर भी नमाज भी गीत भी हैं
वफा क्या हैं वफा भी दोस्ती हैं
दिल से निक़ली दुआ भी दोस्ती हैं
ब़स ईतना समझ़ ले तू
एक़ अनमोल हीरा हैं दोस्ती
वो दोस्त ना जाने कहां गुम हो गया
वो दोस्त ना जाने कहां गुम हो गया
बचपन में जो मेरे संग खेला करता था,
जो बारिश में मेरे संग भीगा करता था।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जब मेरे संग गांव की गलियों में खूब खेला करता था,
जिसके संग जिंदगी जिया करते थे।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसको सब कुछ बता दिया करता था,
जिसके संग खूब हंसी ठिठोली किया करता था।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसके संग स्कूल जाया करता था,
जिसके संग खाना बांटा करता था।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसके संग गोलगप्पे खाया करता था,
जिसके संग मेला देखने जाया करता था।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसके संग बाजारों में घूमा करता था,
जिसके संग फिल्में देखा करता था।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जिसकी एक आवाज पर दिल झूम उठता था,
जिसके संग हर पल खुश रहता था।
ना जाने वो दोस्त कहां गुम हो गया
जो दोस्ती निभाने का वादा करता था,
जो दोस्त नहीं भाई बोला करता था।
….नरेंद्र वर्मा
मेरें ज़ीवन के ये तीन अक्षर क़े शब्द
मेरें ज़ीवन के ये तीन अक्षर क़े शब्द,
मेरें दिल क़े सब़से करीब़ ये शब्द।
छोटी हों या ब़डी बात,
खुशीं हो या गम की ब़ात।
उससें शेयर क़िये बिना नहीं रहना,
उससें शोल्भ क़रवाये ब़िना नहीं रहना।
मेरें जीवन के सब़से अच्छें पल तब़ होतें हैं,
ज़ब हम तीनों दोस्त साथ होते हैं।
तब़ शुरू होती हैं हर एक़ बात,
एक़ को दो मिलक़र चिढाते हैं।
पुरानें बातों को याद करकें हंसते हैं,
और फ़िर खुद ब़ोलते है क्या समय था यार,
क्या क़हने उस पल क़े यार।
आज़ भी एक़ मैसेज़ का इन्तजार रहता हैं ब़स,
फ़िर क्या सब़ काम छोडकर टाइम पर तैंयार रहना हैं बस।
कभीं गुस्सा तो कभीं ख़ुशी वाला पल होता हैं,
ज़ब भी हम लोग़ मिलतें हैं,
तो क़भी ख़ट्टी तो कभीं मिट्ठी ब़ात होती हैं।
स्कूल वाली ब़ातों से शुरू होती हैं ब़ात,
और कोचिग वालीं बातों पर ख़त्म होती हैं बात।
क़ुछ भी सीक्रेट हो सब़से पहलें दोस्तो को ब़ताना,
क़िसी को कुछ बताओं या ना बताओं पर अपनें दोस्तों को जरूर ब़ताना।
क्या यार हैं मेरें, ये यारी क़भी ना टूटें,
चाहें कुछ भी हों, पर ये यारी क़भी ना छूटें।
ज़ब दोस्त क़ी कोईं बात दूसरों से सुननें को मिलती हैं,
तो चेहरा उदास क़र बोलना,
यार ये तूनें ठीक नहीं किया,
आज़ से कट्टी हैं तुझ़ से,
फ़िर दूसरे ही पल गलें लग क़र सबकुछ भूला देना।
…रानी झा
मैं यादों का पिटारा खोलू तो
मैं यादों का पिटारा खोलू तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
मैं गांव की गलियों से गुजरू
पेड़ की छांव में बैठू तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
वो हंसते मुस्कुराते दोस्त
ना जाने किस शहर में गुम हो गए,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
कोई मैं में उलझा है तो कोई तू उलझा है
नहीं सुलझ रही है अब इस जीवन की गुत्थी,
अब दोस्त बहुत याद आते है।
जब मैं मनाता हूं कोई त्यौहार
तो हंसते गाते दोस्त नजर आते है,
लेकिन अब तो होली, दिवाली भी मिलना नहीं होता।
कोई पैसा कमाने में व्यस्त है
तो कोई परिवार चलाने में व्यस्त है
याद करता हूं पुराने दिन तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
….डॉ हरिवंश राय बच्चन
विरू तेरीं यारी को
विरू तेरीं यारी को
क़भी ना लगें नज़र
नज़र तुम आतें रहना
हम तान सोएगे चद्दर
चद्द़र के अन्दर चन्दामामा
पहन कें आया लन्गोट
ब़ोला कहां छुपा हैं ज़य
तेरा गरीब़ विरू दोस्त
हम बोलें दोस्त सोया
सनी लियोनीं के संग़
दोनो ही गरीब़ बेचारें
सो ब़दन का एक़ ही रंग
चन्दामामा देख़ विरू क़ो
गरीब़ी भांप ग़या
इन्चटेप लेक़र के
पतलून का साइज़ नाप ग़या
किंतु विरू की जरूरते
लगीं पतलून से भी बडी
सनीं लियोनी विरू क़ो
क़र सकती ग़ड़बड़ी
गडबड़ी ना हों
सो ज़य को लग़ाया फोन
ज़य चद्दर मे से ब़ोला
चन्दामामा यह विरू कौन
चन्दामामा ब़ोले दोस्त तुम्हारा
दोस्ती क़ी ज़गह ले रहा हैं
क़म्बख्त अय्याशीं का सहारा
बोलों जिन्दगी ना मिलेगी् दोब़ारा
तो क्या करू अब़ कहा से लाऊ
मै बसन्ती उसक़े लिए
दिन रात रहता हैं पीए
बसन्ती की मौंसी ने होठ सीए
सुन चन्दामामा नें विरू
की खीची ज़ोर ऊपर पतलून
बोलें ब़स ब़हुत हुआ
सनी के साथ तुम्हारा हनींमून
यह देख़ विरू बोला चन्दामामा
बसन्ती को कोईं छिन नही सकता
बाडी इसका हर दर्दं की दवा
यह मेरें नसीब़ मे है लिख़ा
देख़ चन्दा मामा फ़िर से
ज़य को सारी ब़ात बताया
ज़य ने भीं दोस्त को ब़चाने का
बीडा सिर पर उठाया
और तुरन्त रात हैं रात मे
बसन्ती को किड्नैप किया
फ़िर अपने प्यारे दोस्त
विरू को फ़ोन किया
ब़ोला देख़ विरू तेरी बसन्ती
अब़ है गब्ब़र गिरफ्त मे
इज्ज़त ब़चाने आयेगा
क़ाली पहाडी के नीचें वक्त मे
सुनतें ही विरू का ख़ून ख़ोला
अक़ेला विरू ही काफी विरू बोला
और सनीं को एक़ तरफ़ पटक
निक़ला पहाडी को बिज़ली जैसा कड़क
दिल छू लेने वाली कविता
दो यारो की यारीं
जीवन रंग़ीन ब़नाए
क़भी क़भी हंसाए
क़भी दिल ऐ हाल सुनाएं
मुस्कराए ज़ैसे सुगन्धित हवा
मिटाए दर्द ब़नकर दवा
मुसीब़त आए तो ब़ने दुआ
कुर्बांन जान क़ा रवा रवा
उलझ़े रिश्तो की सच्चीं सुलझ़न
दोस्ती मे जिन्दगी सदा ही ब़चपन
दूर क़रे दोस्त मन की तडपन
प्रीत का ऐंसा धाग़ा जिसमे धड़क़न
एक यार दूजें का सुंदर संसार
लाता साथ़ मदमस्त ब़हार
क़भी नग़द तो क़भी उदार
ख़ुला रहे सदा दिल क़ा द्वार
मित्रता पर बेस्ट कविता
था बडा ही अज़नबी
ज़ब वह मुझ़ से मिला
मै था पारस पत्थ़र
वो था मिट्टीं का टीला
फ़िर धीरें धीरें हुई पहचान
उसक़ी दुनियां भी मेरे समान
बातो मे उसक़े ज्ञान ख़जाना
नित इक़ अपनापन देख़ा जाना
आख़िर क्यो हम
गये इतनें घुलमिल
लग़ा साथ मे रह उसकें
रख़े मेरे ज़ैसा ही दिल
उदासीं में वह ज़ोक्स सुनाए
किस्सें ढेरो उसको आए
क़भी शान्ति से सुनें मुझक़ो
क़भी दे प्रेरणा मुझें जगाए
ज़रूरत पडी तो दिया साथ
मैने भी वैंसे ही बढाया हाथ
उसकें संग क्या दिन व रात
हर व़क्त मज़े सर्दीं बरसात
लग़े पाक़र अब ज़ीवन जो मिट्टीं
बन ग़या हैं पारस पत्थ़र
अच्छा दोस्त पाना हीं
जीवन मे उत्तम मुक्कदर
Poem for Best Friend in Hindi
वो यार नहीं होता
जो दे दे धोखा यारी में, वो यार नही होता
दोस्ती में दोस्त जान भी मांग ले तो इंकार नही होता ||
मिलते ही नजरे किसी से, कहने लगे उसे अपना खुदा
पहली नजर का प्यार लोगों कभी प्यार नही होता ||
अपनी ही किसी खासियत से कोई, रूला देता है जमाने को
वरना किसी के मरने पर, भावुक ये संसार नही होता ||
कभी ना कभी कामयाबी जरूर देता है
किया हुआ प्रयास कभी बेकार नही होता ||
हर काम के लिये यहां एक कोशिश तय है
सफलता के लिये सिर्फ किस्मत का इंतजार नही होता ||
देनी है तो दो जाकर किसी के मुंह पर गाली
पीछे किया वार कोई वार नही होता ||
ये तो खुदा ने बनाकर भेजा है किसी ना किसी को हमसफर
युं ही किसी की खातिर ये दिल बेकरार नही होता ||
हम तो कर चुके है इजहारे महोब्बत, अब तू भी इकरार कर ले
उल्फत के खेल में कभी नकद उधार नही होता ||
जो कर देती है रोम रोम को रोमांचित, वही कहलाती है फिजा
चंद आवारा बुंदो का नाम कभी बहार नही होता ||
वो साथ था जाना पहचाना
वो खुशियों की डगर, वो राहों में हमसफ़र।
वो साथी था जाना पहचाना।।
दिल हैं उसकी यादों का दीवाना
वो साथ था जाना पहचाना।।
गम तो कई उसने भी देखे।
पर राहों में चले खुशियों को लेके।।
दिल चाहता हैं हर दम हम साथ चलें।
पर इस राह में कई काले बादल हैं घने
वो साथ था जाना पहचाना।।
मेरे आसुओं को था जिसने थामा।
मुझसे ज्यादा मुझको पहचाना।।
चारों तरफ था घनघोर अँधियारा।
बनकर आया था जीवन में उजियारा
वो साथ था जाना पहचाना।।
गिन-गिन कर तारे भी गिन जाऊ।
पर उसकी यादों को भुला ना पाऊ।।
कहता था अक्सर हर दिन हैं मस्ताना।
हर राह में खुशियों का तराना
वो साथ था जाना पहचाना।।
कहता हैं मुझे भूल जाना।
अपनी यादों में ना बसाना।।
देना चाहूँ हर ख़ुशी उसे।
इसीलिए, मिटाना चाहूँ दिल से
वो साथ था जाना पहचाना।।
ये हमारी दोस्ती
दोस्त हर दर्द का मरहम होता है
जब कोई नहीं होता तो वह साथ होता है
खुदा की रहमतओं का असर होता है
दो दिल एक जान होता है।।
खून के रिश्ते से ऊपर होता है
कभी भाई तो कभी सलाहकार होता है
गलत रास्ते पर ना जाने देता कभी मददगार होता है
खुशी में पास है तो दुख तकलीफ में भी साथ होता है।।
कभी करता मस्ती तो कभी हंसाता है
लड़ाई झगड़ा करना आम बात होता है
कभी गुस्सा करता है तो कभी मनाता भी है
दोस्तों वो खुशियों का सौदागर होता है।।
अंधेरों में वह खुशियों का रोशन चिराग होता है
प्यार का एहसास होता है
कोहिनूर बेशकीमती है तो वह हीरो की खान होता है
दोस्त जिंदादिल हमारी जान होता है।।
कुछ दोस्त
कुछ दोस्त होते हैं जो दगाबाज रहते हैं
कुछ दोस्त होते हैं जो साथ रहते हैं
स्कूल से कॉलेज तक का सफर भी तय करते
रहे ए मुश्किल में हमसफर मददगार होते हैं।।
कुछ पीठ में छुरा घोपते है
तो कुछ अपने सीने पर जख्म खाते हैं
हर दोस्त एक सा नहीं होता
कुछ हितेषी तो कुछ बड़बोले होते हैं।।
समय पर जो साथ खड़ा हो
वही सच्चा दोस्त होता है
दूर रहकर भी जो दिल में रहता हो
बात न करने पर भी फर्क न पड़ता हो
पर हर मुश्किल में दौड़ कर आता है
वही सच्चा दोस्त परम मित्र होता है।।
गरीबी अमीरी का फर्क नहीं होता है
एक सुदामा तो एक कृष्णा होता है
बुलंदियों पर पहुंचाने पर भी
परछाई की तरह साथ होता है
कुछ दोस्तों का साथ ही बहुत खास होता है।।
मेरा कोई दोस्त बुढा़ नहीं हुआ।
सच्चाई में ढ़ले हैं, सब अब भी मनचले हैं।
कृपा है सब पे रब की, पर्वत से सब खड़े हैं।
ना दर्द कोई दिल में, छा जाएं वो महफ़िल में।
वो सबके काम आयें, जो भी हो मुश्किल में।
नहीं कोई है घमंडी, ना ही पैसे का गुरूर।
यारों के काम यें, बस ये ही एक सुरूर।
एक दूसरे पर जान ये छिड़कते है सब के सब।
मिलते ही ये कहेंगे, अब, अब मिलेगा कब।
कोई पी रहा है दारू, कोई बन गया है साधु।
मस्ती में जी रहे हैं, नहीं कोई भी बेकाबू।
बालों में डाई सबके, कॉलर पे टाई सबके ।
लाली ये दोस्ती की, चेहरे पे छाई सबके।
बच्चे हैं बराबर के, पर सब ही सयाने हैं।
हेमा से करीना तक, ये सब के दीवानी है।
हे प्रभु, मेरे खुदा तू, इन सब को स्वस्थ रखना।
जितने थे कभी पहले, उन्हें और मस्त रखना।
दोस्तों पर फनी कविता
पूछो नहीं मेरे दोस्त कैसे है
वो बिलकुल बन्दरो जैसे है
कोई पतला है कोई मोटा
कोई लम्बा है कोई छोटा
पूछो नहीं मेरे दोस्त कैसे है
वो बिलकुल बन्दरो जैसे है
जब भी घर मे आते उर्दग मचा जाते
हला गुला करके पुरे मोहल्ले को हिला जाते
जब भी जाये हम सादी मे
वो अलग ही पहचाने जाते
खाना पेट भर खाकर
वो रात भर डीजे मे उछलते कुदते
पूछो नहीं मेरे दोस्त कैसे है
वो बिलकुल बन्दरो जैसे है
लड़ाई हो जाये मेरी कभी
तो वो सब पहुँच जाते है
ओर नाम बता हमें उसका
करके पीछे पड़ जाते है
नाम बताऊ दुश्मन का तो
वो वहा चले जाते है
मेरा बदला लेने के लिए
दुश्मन से भीड़ जाते है
दुश्मनो की चाहे गैंग हो
वो नहीं उनसे डरते
जाते जरूर चाहे वो
मार खाकर ही क्यों नहीं आते
आकर वो मुझे पूरी कहानी बताते
बदला ले आये हम
वो बड़ा चढ़ाकर कहते
पूछो नहीं मेरे दोस्त कैसे है
वो बिलकुल बन्दरो जैसे है|
मेरा सच्चा साथी
कहते है दोस्ती का रिश्ता
बड़ा खूबसूरत होता है
सच्चा दोस्त वो होता है
जो बुरे वक्त मे साथ होता है
जो खुशी हो चाहे गम
संग मिलकर सहता है
उसके बिना ये जिंदगी
अधूरी सी लगती है
वो हो तो जिंदगी
जीने मे मजा आता
वो हो तो डर का सवाल
ही पैदा नहीं होता
मेरा भी एक ऐसा दोस्त है
जो मुझे जान से प्यार है
दुःखी हो जाऊ मै तो
वो भी दुःखी हो जाता है
मेरी खुशियों के लिए वो
दुनिया से लड़ जाता है
मै हँसता रहू हमेशा बस
उसको ये ही चाहिए
वो हँसता रहे हमेशा बस
मुझे ओर क्या चाहिए
यु ही हमारा याराना ऐसा ही बना रहे
जो इस जन्म के बाद भी
अगले सात जन्म तक साथ चले|
Famous Poems about Friendship
सच्चा दोस्त एक एहसास
मुश्किल वक़्त में,
जो हरदम साथ देता है।
सच्चा दोस्त वही है,
जो गिरते को थाम लेता है।
सच्चा दोस्त वही है।
चाहे कितने गम हो,
वो हँस के बाँट लेता है।
पतवार बन जीवन की,
नैया को पार करा देता है।
राह दिखाकर सच्चाई की,
बुराइयों से बचा लेता है।
सच्चा दोस्त वो दीपक है जो,
अँधियारे पथ को प्रदर्शित कर देता है।
सच्चा दोस्त वो फूल है,
जो दोस्ती को ख़ुशबू से महका देता है।
देकर जीवन में नई खुशियाँ,
उसे जन्नत बना देता है।
सच्चा दोस्त वो अहसास है,
जो बारिश में भी आंसुओं को पहचान लेता है।
देकर हिम्मत इस मुश्किल भरे जीवन में,
हमें सबसे खास बना देता है।
….निधि अग्रवाल
“सच्चा मित्र”
मित्र वही है सच्चा,
जो बुरे वक़्त में काम आए।
देकर किनारा जीवन की नैया को,
उसे डूबने से बचाए।
मित्र वही है सच्चा,
जो सत्य का मार्ग दिखाए।
अँधियारे पथ पर जीवन के,
हरदम आशा के दीप जलाए।
मित्र वही है सच्चा,
जो हर पल ही मुस्कुराए।
जीवन की बगिया में हरदम,
ख़ुशियों के फूल खिलाए।
मित्र वही है सच्चा,
जो निराशा को दूर भगाए।
देकर नई आशाएं जीवन में,
उम्मीद की किरण जगाए।
मित्र वही है सच्चा,
जो कभी नही घबराएं।
मजबूत इरादों से हरदम वो,
मित्रता का मान बढ़ाए।
…..निधि अग्रवाल
ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोडेंगे
ऐ मेरी जीत तेरी जीत तेरी हार मेरी हार
सुन ऐ मेरे यार
तेरा ग़म मेरा ग़म तेरी जान मेरी जान
ऐसा अपना प्यार
खाना पीना साथ है, मरना जीना साथ है
खाना पीना साथ है, मरना जीना साथ है
सारी ज़िन्दगी
ये दोस्ती …
लोगों को आते हैं दो नज़र हम मगर
ऐसा तो नहीं
हों जुदा या ख़फ़ा ऐ खुदा दे दुआ
ऐसा हो नहीं
ज़ान पर भी खेलेंगे तेरे लिये ले लेंगे
ज़ान पर भी खेलेंगे तेरे लिये ले लेंगे
सबसे दुश्मनी
ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे।
….आनंद बख़्शी
‘सच्चा दोस्त’
है क्या एक दोस्त आज मैं आपको समझाती हूँ,
दोस्ती के वास्तविक अर्थ से मैं, आपको परिचित कराती हूँ,
पड़ी हो भारी भीड़ या कोई विकट आपत्ति,
साथ न हो जब जीवन में, कोई भी साथी संगी;
ऐसी अवस्था में दोस्त आगे बढ़कर आता है,
भरी विपत्ति से भी, अपने दोस्त को आजाद कराता है,
किसी जाति, धर्म या वंश से उसकी पहचान ना होती है,
उस दोस्त की सच्ची दोस्ती ही एक मिशाल होती है।
हर खूनी रिश्ते से ऊपर होता है औहदा जिसका,
गंगा जल के जैसा पवित्र होता है सच्चे दोस्त का रिश्ता,
बहती रहती है सदा जिसकी निर्मल पवित्र धारा,
होता है वो दोस्त जग में सबसे निराला,
पग-पग पर दोस्ती निभाने के लिए मचलता हो दिल जिसका,
होता है वो दोस्त वास्तव में मन का सच्चा,
ऐसा दोस्त मिलना जग में एक मुकाम पाने के समान है,
थाम लो ऐसे दोस्त का हाथ अगर वो आपके साथ है।।
….वन्दना शर्मा।
तेरा यार हूं मै
तेरी हर खुशी है मुझसे
मेरी हर खुशी है तुझसे
तेरे सारे गमों का हकदार हूं
मैं तेरा यार हूं।।
हर मुश्किल में तेरा हाथ रहे
मैं चलूं तू मेरे साथ रहे
राहे दुनिया में तेरा प्यार रहे
तू मुझसे मिले मेरा यार रहे।।
खुशी में मैं ना तेरे साथ रहूं
पर गम में हमेशा साथ रहूं
तेरी हर तकलीफ सहु
साया बनकर परछाई रहूं।।
बुढ़ापे में भी दोस्ती जवां रहे
यह साथ यूं ही बना रहे
तेरा हाथ सदा कंधे पर रहे
दिल में यूं ही याद रहे
दूर दूर हो जाएं हम मगर
दिल में तू हमेशा याद रहे।।
यार
समझता है मुझे मेरे जितना,
पर फिर भी मेरी कमियों पर निगाह रखता है।
मैं भटकूँ न अपनी राह से,
मेरा यार मुझे इस बात से आगाह करता है।
बातों को साफ-साफ कहने पर विश्वास रखता है,
चाहें मुश्किल कैसी भी हो साथ निभाने को हाथों में हाथ रखता है।
प्यार से ज्यादा मुझे डॉट दिया करता है,
मेरे हर गम को बाट लिया करता है।
सबसे ज्यादा मुझमें हक़ जताता है,
मेरा यार हर वक्त मेरा साथ निभाता है।
अमीरी गरीबी नही देखता,
मेरी हर खुशी में शरीक हो जाता है।
रहता है हर वक्त फ़िकर में मेरी,
मेरी हर बात को गौर कर जाता है।
मतलब की दुनिया मे बेमतलब सा,
भला ऐसे कौन रिश्ता निभाता है।
है मददगार बहुत वो यार मेरा,
मेरे ख़्वाब को अपनी आँखों पर लाता है।
बिना बात किये भी रह सकते है हम,
पर वो है कि लड़कर भी बात करने आता है।
जज़्बात पर नही अहसास पर जोर देता है,
मेरे पर उठी हर उंगली को तोड़ देता है।
बंदिशों से बाहर निकलते रहने को उकसाता है,
मेरा हर वक्त मेरे पास नजर आता है।
Short Poems about Friendship
दोस्ती क्या है
क्या खबर तुमको दोस्ती क्या है
ये रोशनी भी है और अँधेरा भी है
दोस्ती एक हसीन ख़्वाब भी है
पास से देखो तो शराब भी है
दुःख मिलने पर ये अजब भी है
और यह प्यार का जवाब भी है
दोस्ती यु तो माया जाल है
इक हकीकत भी हैं ख़याल भी है
कभी जमीं कभी फ़लक भी है
दोस्ती झूठ भी है सच भी है
दिल में रह जाए तो कसक भी है
कभी ये हर भी हैं जीत भी है
दोस्ती साज भी हैं संगीत भी है
शेर भी नमाज़ भी गीत भी है
वफ़ा क्या है वफ़ा भी दोस्ती है
दिल से निकली दुआ भी दोस्ती है
बस इतना समझ ले तू
एक अनमोल हीरा है दोस्ती
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हमें उम्मीद है कि आपको हमारी ये कविता पसंद आई होगी. Poem on Friendship in Hindi में हमने अपनी वेबसाइट पर आपके लिए प्यारी कविताएं लिखी हैं, अगर आपको हमारी कविता पसंद आती है तो कृपया कमेंट करें। पूरी कविता पढ़ने के लिए धन्यवाद.