चंदा मामा कविता हिंदी में | Chanda Mama Poem In Hindi

हमने आपके लिए कई कविताएं लिखी हैं, जो हमें प्रेरणा देंगी, यह कविता भी अवसरवादी है, आप लोगों के लिए उत्साहवर्धक है, इन सभी कविताओं में आपको अच्छी शिक्षा मिलेगी और, Chanda Mama Poem In Hindi ये सभी कविताएं हमने मनोरंजन के लिए लिखी हैं।

Chanda Mama Poem In Hindi

Chanda Mama Poem In Hindi

चाँद-सितारों, मिलकर गाओ

आज अधर से अधर मिले हैं,
आज बाँह से बाँह मिली,
आज हृदय से हृदय मिले हैं,
मन से मन की चाह मिली,
चाँद-सितारों, मिलकर गाओ!

चाँद-सितारे, मिलकर बोले,
कितनी बार गगन के नीचे
प्रणय-मिलन व्यापार हुआ है,
कितनी बार धरा पर प्रेयसि-
प्रियतम का अभिसार हुआ है!
चाँद-सितारे, मिलकर बोले।

चाँद-सितारों, मिलकर रोओ!
आज अधर से अधर अलग है,
आज बाँह से बाँह अलग
आज हृदय से हृदय अलग है,
मन से मन की चाह अलग,
चाँद-सितारों, मिलकर रोओ!

चाँद-सितारे, मिलकर बोले,
कितनी बार गगन के नीचे
अटल प्रणय का बंधन टूटे,
कितनी बार धरा के ऊपर
प्रेयसि-प्रियतम के प्रण टूटे?
चाँद-सितारे, मिलकर बोले।

चंदा मामा दूर गगन से

चंदा मामा दूर गगन से,
मेरे घर भी आओ ना।
गाकर लोरी मीठी-मीठी,
मुझको तुम सुलाओं ना।

ले जाकर मुझे बादलों में,
मेरा मन बहलाओ ना।
अपने गोदी के पलने में मुझको,
झूला तुम झुलाओं ना।

आसमाँ की दुनिया में,
मुझको तुम सैर कराओ ना।
मस्त पवन के झोंको से,
मेरा सिर सहलाओं ना।

मेरे सपने को सच करने,
चंदा मामा आओ ना।
गाकर लोरी मीठी-मीठी,
मुझको तुम सुलाओं ना।

आयी है देखो अम्बर पर

आयी है देखो अम्बर पर,
चंदा की बारात।
तारे आये हैं बाराती बनकर,
देने सपनों की सौगात।

रौशन है नगरी अम्बर की,
झिलमिल करते तारों से।
चाँद की दुल्हन बनी चंदनिया,
लगती है हजारों में।

होंठों पर लिए मुस्कान,
कुछ शरमाई सी, कुछ इतराई है।
तारों की जयमाला है हाथों में,
कर रहे सब मंगलगान।

आज इस शुभ-मुहर्त का,
साक्षी है पूरा अम्बर।
करने स्वागत नव जोड़े का,
छाया नभ में अम्बुद का स्वर।

चंदा मामा नभ से उतरो

चंदा मामा नभ से उतरो
पास हमारे आओ
इतने गोरे कैसे हो तुम
हमको भी बतलाओ

उस साबुन का नाम बताओ
जिससे तुम नहाते हो
क्रीम कौनसी वह है जिसको
नित ही आप लगाते

खूब नहाता क्रीम लगाता
तुम सा ना हो पाता
तुम्हें देखकर ही मम्मी के
झांसे में आ जाता

जाड़े में भी प्रतिदिन मम्मी
हमें रगड़ नहलाती
जब भी मैं रोने लगता हूँ
यह कहकर समझाती

मत रो मेरे मुन्ने राजा
तू दम दम दमकेगा
रोज नहाएगा तो तू भी
चंदा सा चमकेगा.

आयी है़ दे़खो अ़म्बर पर

आयी है़ दे़खो अ़म्बर पर,
चंदा की बारात।
ता़रें आये है़ बाराती बऩकर,
देने स़पनों की सौगा़त।

रौश़न है नग़री अम्बऱ़ की,
झिल़मिल क़रते तारों से।
चाँद की दुल्हऩ बनी चंदनिया,
लग़ती है हजा़रों में।

हो़ठों पर लिए मुस्कान,
कु़छ श़रमाई सी, कुछ़ इत़राई है।
ता़रों की जयमाला़ है हाथों में,
कर रहे स़ब मंगलगान।

आज इ़स शुभ़-मु़हर्त का,
साक्षी़ है पू़रा अम्ब़र।
करने स्वाग़त नव जोड़े का,
छा़या ऩभ में अम्बुद का स्व़र।

चंदा मामा आओ ना

चंदा मामा आओ ना
दूध पताशा खिलाओ ना
मुझे मीठी लोरी सुनाओ ना
हलवा पूरी खाओ ना
बिस्तर पर सो जाओ ना

ले जाकर मुझे़ बाद़लों में,
मे़रा मन बह़लाओ ना।
अपने गो़दी के पल़ने में मुझ़को,
झूला़ तुम झु़लाओं ना।

आ़समाँ की दुनिया में,
मुझको तु़म सै़र कराओ ना।
म़स्त पवऩ के झोंको से,
मेरा सि़र सहला़ओं ना।

मे़रे सपने को स़च करने,
चंदा़ मामा आ़ओ ना।
गा़कर लो़री मी़ठी-मीठी,
मुझ़को तुम सुला़ओं ना़।

Chanda Nama Door ke Poem in Hindi

चंदामामा दूर के

चंदामामा दूर के
रोज रात में आ जाते है,
पता नहीं है, हमें
ये दिन में कहा जाता है,

कभी आधे कभी गोल
कभी टेड़े कभी मेढे
तुम तो बहुत चतुर हो,
इतने रूप आप कहा से लाते हो

कभी यहाँ और कभी वहा
कभी दूर चले जाते हो
कभी बदलो में तो कभी अंधारो में खो जाते हो

रात को वापस आते हो,
दिन को कहा तुम जाते हो
क्यू नहीं बतलाते हो,

आसमा की दुनिया का दिनभर सैर करने जाते हो
हवा की झौको से मन मस्तक हो जाते हो

तुम अपना दिल बहलाते हो.
रात को तुम आते हो
दिन को कहा खो जाते हो

हमारे चंदामामा गोल मटोल

हमारे चंदामामा गोल मटोल
जब ये जाते हो जाता शोर
कुछ तो बोल कुछ तो बोल

कल आधे आज क्यों गोल
खुद ही खोल दो अपनी पोल
क्यों कभी आधे और कभी होते हो गोल
रात में आते हो तुम संग में सितारे लाते हो

मगर दिन छिप क्यू जाते हो,
किससे तुम घबराते हो,
क्यू तुम छुप जाते हो कुछ तो बोलो

चंदा भैया सम्भल के सोना

चंदा भैया सम्भल के सोना
तुम बादल के बिस्तर पर
कहीं नींद में लुढ़क न जाना
तुम धड़ाम से धरती पर
दिनभर घर से गायब रहकर
तारों के संग खेले हो
थककर चूर हुए घर लौटे
नहीं सांझ से पहले हो
ओढ़ रजाई बदली की तुम
सोए सुध बुध खोकर अब
सू सू मत कर देना भैया
रहता मैं हूँ धरती पर

हेलो हेलो चंदा मामा

हेलो हेलो चंदा मामा,
कैसा है ऊपर सब कुछ ये तो बताना।

भूखे हो तो भी बताना,
खाना खाया क्या वो भी बताना।

आज के मौसम का हाल बताना,
रात को मिलने जल्दी आना चंदा मामा।

हमसे बातें करो न चंदा मामा,
नहीं तो हमे आता है आपसे रूठ जाना।

हमारी बातें बादलों को भी बताना,
थोड़ी देर चंदा मामा को न छुपाना।

थोड़ा सा हँस दिया करो तुम,
हम पर खुशियों की बौछार करो तुम।

अँधेरे में खूब चमको तुम,
उजाला जीवन में हमारे भरो तुम।

रात को हमें रोज मिलो तुम,
बहुत सारी बातें हमसे करो तुम।

कल आओगे न मिलने जरा ये तो बताना,
मुझे आज जल्दी है सोने जाना।

हेलो हेलो चंदा मामा,
कैसा है ऊपर सब कुछ ये तो बताना।

गोरे चंदा

चंदा मामा नभ से उतरो
पास हमारे आओ
इतने गोरे कैसे हो तुम
हमको भी बतलाओ

उस साबुन का नाम बताओ
जिससे तुम नहाते हो
क्रीम कौनसी वह है जिसको
नित ही आप लगाते

खूब नहाता क्रीम लगाता
तुम सा ना हो पाता
तुम्हें देखकर ही मम्मी के
झांसे में आ जाता

जाड़े में भी प्रतिदिन मम्मी
हमें रगड़ नहलाती
जब भी मैं रोने लगता हूँ
यह कहकर समझाती

मत रो मेरे मुन्ने राजा
तू दम दम दमकेगा
रोज नहाएगा तो तू भी
चंदा सा चमकेगा

चंदा मामा

चंदा मामा दूर गगन से,
मेरे घर भी आओ ना।
गाकर लोरी मीठी-मीठी,
मुझको तुम सुलाओं ना।

ले जाकर मुझे बादलों में,
मेरा मन बहलाओ ना।
अपने गोदी के पलने में मुझको,
झूला तुम झुलाओं ना।

आसमाँ की दुनिया में,
मुझको तुम सैर कराओ ना।
मस्त पवन के झोंको से,
मेरा सिर सहलाओं ना।

मेरे सपने को सच करने,
चंदा मामा आओ ना।
गाकर लोरी मीठी-मीठी,
मुझको तुम सुलाओं ना।

माँ मुझको कुछ रूपये दे दो

माँ मुझको कुछ रूपये दे दो
आरक्षण करवाना,
धरती पर बढ़ गया प्रदूषण
चंदा पर है जाना

शुद्ध हवा होगी चंदा पर
स्वच्छ मिलेगा पानी
चमकीले तारों के मुख से
सुन्नी नई कहानी

काफी शोर यहाँ सड़कों पर
मुश्किल है जी पाना
रूप बदलने का चंदा से
भेद समझ पाऊंगा
मोबाइल पर बात करूंगा
मैं तुमसे रोजाना

उत्सुकता ने जाल बिछाए
मना नहीं तुम करना
चूर चूर होंगे सब सपने
मुश्किल होगी वरना
फास्ट फूड के जैसा बदला
कितना आज जमाना

‘चंदा मामा दूर के’ गीत के बोल

चंदा मामा दूर के, पुए पकाये बूर के
आप खाए थाली में, मुन्ने को दे प्याली में
प्याली गई टूट, मुन्ना गया रूठ
लायेंगे नई प्यालिया, बजा-बजा कर तालियां
मुन्ने को मनाएंगे, दूध मलाई खायेंगे

चंदा मामा दूर के…
उड़नखटोला बैठ के मुन्ना, चंदा के घर जायेगा
तारो के संग आँख मिचोली, खेल के दिल बहलायेगा
खेल कूद से जब मेरे मुन्ने का दिल भर जायेगा
ठुमक-ठुमक मेरा मुन्ना वापस घर को आएगा

चंदा मामा दूर के…

ईद का चांद हो गया है कोई

ईद का चांद हो गया है कोई
जाने किस देश जा बसा है कोई

पूछता हूं मैं सारे रस्तों से
उस के घर का भी रास्ता है कोई

एक दिन मैं ख़ुदा से पूछूं गा
क्या ग़रीबों का भी ख़ुदा है कोई

इक मुझे छोड़ के वो सब से मिला
इस से बढ़ के भी क्या सज़ा है कोई

दिल में थोड़ी सी खोट रखता है
यूं तो सोने से भी खरा है कोई

वो मुझे छोड़ दे कि मेरा रहे
हर क़दम पर ये सोचता है कोई

हाथ तुम ने जहां छुड़ाया था
आज भी उस जगह खड़ा है कोई

फिर भी पहुंचा न उस के दामन तक
ख़ाक बन बन के गो उड़ा है कोई

तुम भी अब जा के सो रहो ‘रहबर`
ये न सोचो कि जागता है कोई

चाँद की सवारी

माँ, करके चाँद की सवारी,
मैं घूमूँगा दुनिया सारी।
परियों के देश में जाकर,
देखूँगा दुनिया उनकी निराली।

बादलों से मिलकर सुनुँगा उनसे,
रिमझिम सी बारिश की कहानी।
मस्त हवाओं संग झूम-झूमकर,
हो जाऊंगा मैं भी रूहानी।

पंक्षियों के संग ताल मिलाकर,
उडुंगा चाल मतवाली।
दूर आसमाँ में जाकर,
पा लूंगा सारी आज़ादी।

माँ, करके चाँद सवारी,
हो जाएगी हर इच्छा पूरी हमारी।
तोड़ लाऊंगा आसमाँ से कुछ तारे,
करने माँ, रौशन तेरी दुनिया प्यारी।

हिंदी में प्रदूषण पर कविता

चंदा मामा नभ से उतरो”

चंदा मामा नभ से उतरो
पास हमारे आओ
इतने गोरे कैसे हो तुम
हमको भी बतलाओ

उस साबुन का नाम बताओ
जिससे तुम नहाते हो
क्रीम कौनसी वह है जिसको
नित ही आप लगाते

खूब नहाता क्रीम लगाता
तुम सा ना हो पाता
तुम्हें देखकर ही मम्मी के
झांसे में आ जाता

जाड़े में भी प्रतिदिन मम्मी
हमें रगड़ नहलाती
जब भी मैं रोने लगता हूँ
यह कहकर समझाती

मत रो मेरे मुन्ने राजा
तू दम दम दमकेगा
रोज नहाएगा तो तू भी
चंदा सा चमकेगा

चंदा मामा धरती पर

चंदा मामा धरती पर
बस्ती नई बसाने
किसे किसे चलना है बोलो
मिलकर मौज मनाने

शेर सिंह का सुन सवाल
भालू जी पहले आए
बोले मन करता जाकर
चंदा पर नांच दिखाएं

फिर लोमड़ी उछलकर बोली
ठहरों हम चलते हैं
पर क्या अंगूरों के गुच्छे
वहां खूब फलते हैं

बोला हाथी हमें चाँद पर
जाना है तो माता
देखें हमें कौनसा राकेट
ऊपर ले जा पाता

घोड़ा बोला हम चेतक के
वंशज है जाएगे
एक नया इतिहास वीरता
का हम गढ़ आएँगे

सबने तय पाया चंदा पर
बस्ती नई बसाएं
बड़े मजे से वहां पहुंचकर
मंगल खूब मनाएं

Poem on Chanda Mama in Hindi

हेलो हेलो चंदा मामा

हेलो हेलो चंदा मामा,
कैसा है ऊपर सब कुछ ये तो बताना।

भूखे हो तो भी बताना,
खाना खाया क्या वो भी बताना।

आज के मौसम का हाल बताना,
रात को मिलने जल्दी आना चंदा मामा।

हमसे बातें करो न चंदा मामा,
नहीं तो हमे आता है आपसे रूठ जाना।

हमारी बातें बादलों को भी बताना,
थोड़ी देर चंदा मामा को न छुपाना।

थोड़ा सा हँस दिया करो तुम,
हम पर खुशियों की बौछार करो तुम।

अँधेरे में खूब चमको तुम,
उजाला जीवन में हमारे भरो तुम।

रात को हमें रोज मिलो तुम,
बहुत सारी बातें हमसे करो तुम।

कल आओगे न मिलने जरा ये तो बताना,
मुझे आज जल्दी है सोने जाना।

हेलो हेलो चंदा मामा,
कैसा है ऊपर सब कुछ ये तो बताना।

चंदामामा दूर के

चंदामामा दूर के
चंदामामा दूर के
रोज रात में आ जाते है,
पता नहीं है, हमें
ये दिन में कहा जाता है,

कभी आधे कभी गोल
कभी टेड़े कभी मेढे
तुम तो बहुत चतुर हो,
इतने रूप आप कहा से लाते हो

कभी यहाँ और कभी वहा
कभी दूर चले जाते हो
कभी बदलो में तो कभी अंधारो में खो जाते हो

रात को वापस आते हो,
दिन को कहा तुम जाते हो
क्यू नहीं बतलाते हो,

आसमा की दुनिया का दिनभर सैर करने जाते हो
हवा की झौको से मन मस्तक हो जाते हो

तुम अपना दिल बहलाते हो.
रात को तुम आते हो
दिन को कहा खो जाते हो।

चाँद और कवि

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,
आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है!
उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,
और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है।

जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ?
मैं चुका हूँ देख मनु को जनमते-मरते;
और लाखों बार तुझ-से पागलों को भी
चाँदनी में बैठ स्वप्नों पर सही करते।

आदमी का स्वप्न? है वह बुलबुला जल का
आज उठता और कल फिर फूट जाता है
किन्तु, फिर भी धन्य; ठहरा आदमी ही तो?
बुलबुलों से खेलता, कविता बनाता है।

मैं न बोला किन्तु मेरी रागिनी बोली,
देख फिर से चाँद! मुझको जानता है तू?
स्वप्न मेरे बुलबुले हैं? है यही पानी?
आग को भी क्या नहीं पहचानता है तू?

मैं न वह जो स्वप्न पर केवल सही करते,
आग में उसको गला लोहा बनाती हूँ,
और उस पर नींव रखता हूँ नये घर की,
इस तरह दीवार फौलादी उठाती हूँ।

मनु नहीं, मनु-पुत्र है यह सामने, जिसकी
कल्पना की जीभ में भी धार होती है,
वाण ही होते विचारों के नहीं केवल,
स्वप्न के भी हाथ में तलवार होती है।

स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे,
रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे,
रोकिये, जैसे बने इन स्वप्नवालों को,
स्वर्ग की ही ओर बढ़ते आ रहे हैं वे।

चंदा मामा एक रूप अनेक

चंदा मामा दूर गगन में,
रोज रात को आते हो।
पर एक बात समझ नही आई,
दिन में कहाँ छुप जाते हो।

कभी बड़े, कभी तुम छोटे,
कभी गोल-गोल बन जाते हो।
इतने सारे रूप मगर तुम,
बोलो कहाँ से लाते हो।

कभी यहां, तो कभी वहाँ,
कहाँ-कहाँ तुम जाते हो।
कभी बादलों की ओट में,
चुपके से छुप जाते हो।

आसमान की दुनिया में,
तुम दिन भर सैर लगाते हो।
मस्त पवन के झोंको से,
तुम अपना दिल बहलाते हो।

चंदा मामा आओ न

चंदा मामा आके जल्दी से,
मीठी सी तान सुना दो।
मेरी राज दुलारी को तुम,
सपनों की सैर करा दो।

चंदा मामा आके जल्दी से,
मीठी सी तान सुना दो।

तारों की झिलमिल दुनिया से,
एक खिलौना ला दो।
मेरी गुड़िया रानी के मन को,
थोड़ा सा बहला दो।

चंदा मामा आके जल्दी से,
मीठी सी तान सुना दो।

प्यारी सी थपकी देकर,
उसका सिर सहला दो।
मेरी राजदुलारी के आंखों में,
देकर थोड़ी सी निंदिया, सुला दो।

चंदा मामा आके जल्दी से,
मीठी सी तान सुना दो।

चंदा मामा की बारात

आयी है देखो अम्बर पर,
चंदा की बारात।
तारें आये है बाराती बनकर,
देने सपनों की सौगात।

रौशन है नगरी अम्बर की,
झिलमिल करते तारों से।
चाँद की दुल्हन बनी चंदनिया,
लगती है हजारों में।

होठों पर लिए मुस्कान,
कुछ शरमाई सी, कुछ इतराई है।
तारों की जयमाला है हाथों में,
कर रहे सब मंगलगान।

आज इस शुभ-मुहर्त का,
साक्षी है पूरा अम्बर।
करने स्वागत नव जोड़े का,
छाया नभ में अम्बुद का स्वर।

चंदा मा़मा दूऱ के, पुए पका़ए बूर के

चंदा मा़मा दूऱ के, पुए पका़ए बूर के
चंदा मामा दूऱ के, पुए पका़ए बूर के

आप खा़ए थाली़ मे, मुन्ने़ को दे प्याली़ मे
आप़ खाए थाली़ मे, मुन्ने को दे प्याली़ मे
चंदा मामा दू़र के, पुए पकाए़ बूर के
प्याली़ ग़यी टू़ट, मुन्ना गया रूठ

प्याली ग़यी टूट़, मुन्ना ग़या रूठ
लाएँगे ऩयी प्यालि़या, बजा-बजा़ के तालि़या
लाएँगे ऩयी प्यालि़या, बजा़-बजा़ के तालि़या
मुन्ने को मना़एँगे हम दूध मला़ई खा़एँगे
चंदा़ मामा दूऱ के, पुए़ पकाए़ बूर के

आप खाए थाली़ मे, मुन्ने़ को दे़ प्याली़ मे
चंदा मामा दूर के, पुए पकाए बूर के
उड़नखटोले बै़ठ के मुन्ना चंदा के घ़र जाएगा

उड़नखटोले बैठ़ के मुन्ना़ चंदा के घर जाए़गा
ता़रो के संग़़ आँख मिचौ़ली खेल़ के दिल बह़ला़एगा
खेल़ कूद से जब़ मेरे मुन्ने का दिल़ भर जाएगा
ठुमक-ठु़मक मे़रा मुन्ना वाप़स घ़र को आएगा
चंदा़ मामा दूऱ के, पुए पकाए़ बूर के

हो़ चंदा मा़मा दूर के, पुए पका़ए बू़र के
आप खाए थाली़ मे, मुन्ने को दे़ प्याली़ मे
आप़ खाए थाली़ मे, मुन्ने को दे प्याली़ मे

Short Poem On Chanda Mama In Hindi

माँ मुझको कुछ रूपये दे दो

माँ मुझको कुछ रूपये दे दो
आरक्षण करवाना,
धरती पर बढ़ गया प्रदूषण
चंदा पर है जाना

शुद्ध हवा होगी चंदा पर
स्वच्छ मिलेगा पानी
चमकीले तारों के मुख से
सुन्नी नई कहानी

काफी शोर यहाँ सड़कों पर
मुश्किल है जी पाना
रूप बदलने का चंदा से
भेद समझ पाऊंगा
मोबाइल पर बात करूंगा
मैं तुमसे रोजाना

उत्सुकता ने जाल बिछाए
मना नहीं तुम करना
चूर चूर होंगे सब सपने
मुश्किल होगी वरना
फास्ट फूड के जैसा बदला
कितना आज जमाना

चंदा पर बस्ती

चंदा मामा धरती पर
बस्ती नई बसाने
किसे किसे चलना है बोलो
मिलकर मौज मनाने

शेर सिंह का सुन सवाल
भालू जी पहले आए
बोले मन करता जाकर
चंदा पर नांच दिखाएं

फिर लोमड़ी उछलकर बोली
ठहरों हम चलते हैं
पर क्या अंगूरों के गुच्छे
वहां खूब फलते हैं

बोला हाथी हमें चाँद पर
जाना है तो माता
देखें हमें कौनसा राकेट
ऊपर ले जा पाता

घोड़ा बोला हम चेतक के
वंशज है जाएगे
एक नया इतिहास वीरता
का हम गढ़ आएँगे

सबने तय पाया चंदा पर
बस्ती नई बसाएं
बड़े मजे से वहां पहुंचकर
मंगल खूब मनाएं

चंदा मामा धरती पर

चंदा मामा धरती पर
बस्ती नई बसाने
किसे किसे चलना है बोलो
मिलकर मौज मनाने

शेर सिंह का सुन सवाल
भालू जी पहले आए
बोले मन करता जाकर
चंदा पर नांच दिखाएं

फिर लोमड़ी उछलकर बोली
ठहरों हम चलते हैं
पर क्या अंगूरों के गुच्छे
वहां खूब फलते हैं

बोला हाथी हमें चाँद पर
जाना है तो माता
देखें हमें कौनसा राकेट
ऊपर ले जा पाता

घोड़ा बोला हम चेतक के
वंशज है जाएगे
एक नया इतिहास वीरता
का हम गढ़ आएँगे

सबने तय पाया चंदा पर
बस्ती नई बसाएं
बड़े मजे से वहां पहुंचकर
मंगल खूब मनाएं

नील ग़ग़न के चंदा़ मामा़

नील ग़ग़न के चंदा़ मामा़,
क्यों करते हो़ तु़म हंगा़मा.

दूर हमे़शा रह़़ने वाले,
ऊँची़ पेंगे भ़रने वाले.

पास़ हमा़रे आ जा़ओ तु़म,
हमसे़ आँख चु़राओ न तुम़.

रो़ज-रोज़़ मैं तुम्हे़ बुला़ता,
याद ते़री ले़कर सो़ जाता.

बा़त हमा़री क़़भी न मा़नी़,
करते़ रहे़ अप़नी मऩमानी.

माऩव तु़म तक पहुँच ग़़या है़,
राज़ तु़म्हारा स़मझ ग़या है़.

खो़ज लिया है़ तुम़ पर पानी़,
बतला़ती है़ मे़री नानी़.

मैं भी़ एक दि़न आऊंगा,
तुम़से हा़थ मिला़ऊंगा.

“देख रहा तुझे।”

तू सफेद चाँद, उज्ज्वल चाँद रे
लग रहा आसमान का मोती है
नन्हा सा मैं छत से, देख रहा तुझे।

बड़े चाँद, ओ प्यारे चाँद रे
तेरी परछाई इस पानी में
नन्हा सा मैं छत से, देख रहा तुझे।

मुझे पता है तू कल फिर आएगा रे
दुवा मेरी है की तू ऐसे ही चमकता रहे
नन्हा सा मैं छत से, देख रहा तुझे।

“चाँद”

रात का जब है घनघोर साया
तब आकाश में चाँद जगमगाया
टिमटिमाते तारों के आँगन में
गोल चकोर मन को भाया
चाँद की शीतल चांदनी ने
दबी आकाँक्षाओं को जगाया
चाँद कहता है सबसे रोज़
इंसान तू हार से क्यों घबराया
देख मुझे मेरे दाग देख
मुझपर बहुतों ने आरोप लगाया
मैं निडर सफ़ेद चादर ओढ़
आज फिर दोबारा यहीं आया

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