Poem on Republic Day in Hindi | गणतंत्र दिवस पर कविता हिंदी में

हमने आपके लिए बहुत सारी कविताएं लिखी हैं, जो हमें प्रेरित करेंगी, यह कविता भी अवसरवादी है, आप लोगों के लिए उत्साहवर्धक है, इन सभी कविताओं और Poem on Republic Day in Hindi में आपको अच्छी शिक्षा मिलेगी, हमने ये सभी कविताएं मनोरंजन के लिए लिखी हैं आप।

Poem on Republic Day in Hindi

भारत हर साल 26 जनवरी को अपना गणतंत्र दिवस मनाता है। इस साल गुरुवार को देश के लोग 74वां गणतंत्र दिवस मनाएंगे, जो काफी हद तक एक जैसा लेकिन काफी अलग भी होगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए यह पहला गणतंत्र दिवस होगा, जो उत्सव की शुरुआत करने के लिए हाल ही में उद्घाटन किए गए कर्त्तवय पथ पर तिरंगा फहराएंगी।

Poem on Republic Day in Hindi

‘मत घबराओ, वीर जवानों’

मत घबराओ, वीर जवानों
वह दिन भी आ जाएगा।
जब भारत का बच्चा-बच्चा,
देश भक्त बन जाएगा।।

कोई वीर अभिमन्यु बनकर,
चक्रव्यूह को तोड़ेगा।
कोई वीर भगत सिंह बन कर,
अंग्रेजों के सिर फोड़ेगा।।

धीर धरो तुम वीर जवानों,
मत घबराओ वीर जवानों।
वह दिन भी आ जाएगा,
जब भारत का बच्चा-बच्चा,
देश भक्त बन जाएगा।।

कल-कल करती गंगा यमुना,
जिसके गुण ये गाती है।
भारत की इस पुण्य धरा में,
अपना गुंजार सुनती हैं।।

आज तिरंगे के रंगों को,
फीका नहीं होने देंगे।
इस तिरंगे की शान के लिए,
अपना सर्वस्व लुटा देंगे।।

अब मत घबराओ वीर शहीदों,
मत घबराओ वीर जवानों।
वह दिन भी आ जाएगा,
जब भारत का बच्चा-बच्चा,
देश भक्त बन जाएगा।।

वीर अमर शहीदों की कुर्बानी को,
कोई भुला ना पाएगा।
जब अत्याचार बढ़ेगा धरती पर,
एक महापुरुष आ जाएगा।
मत घबराओ वीर जवानों,
जब भारत का बच्चा-बच्चा,
देश भक्त बन जाएगा।।

‘भारत देश हमारा है’

भारत देश हमारा है यह,
हमको जान से प्यारा है।
दुनिया में सबसे न्यारा यह,
सबकी आंखों का तारा है।।

मोती हैं इसके कण-कण में,
बूंद बूंद में सागर है।
प्रहरी बना हिमालय बैठा,
धरा सोने की गागर है।।

भूमि ये अमर जवानों की है,
वीरों के बलिदानों की।
रत्नों के भंडार भरे हैं,
गाथा स्वर्णिम खानों की।।

सत्य, अहिंसा, शांति बांटता,
इसकी शान तिरंगा है।
गोद खेलती नटखट नदियां,
पावन यमुना-गंगा है।।

चंदन की माटी से महके,
मातृभूमि को वंदन है।
कोटि-कोटि भारत वालों का,
सुंदर सा यह नंदन है ।।

कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,

आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे
हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे

बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरखे का,
चरखे से जमीं को हम, ता चर्ख गुंजा देंगे
परवाह नहीं कुछ दम की, गम की नहीं, मातम की,

है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे
उफ तक भी जुबां से हम हरगिज न निकालेंगे
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे

सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे
दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं

खूं से ही हम शहीदों के, फौज बना देंगे
मुसाफिर जो अंडमान के, तूने बनाए, जालिम
आजाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे

….अशफाकउल्ला खां

Republic Day Poem in Hindi

गणतंत्र दिवस का है अवसर

गणतंत्र दिवस का है अवसर,
हिस्सा लें इसमें बढ़ चढ़ कर,
निकाल के अपने सारे डर,
बढ़ते चले जीवन पथ पर,

इस पावन दिन ये ध्यान करें,
संविधान का सब सम्मान करें,
इतने सारे अधिकार जो दे,
सदा समर्पित उसको प्राण करें,

संविधान ने हर अधिकार दिया,
सबका सपना साकार किया,
शोषित वर्षों से था भारत,
उसको एक नया आकार दिया,

लोगों के मन में ना हो भय,
इसलिए सरकार की सिमा तय,
अधिकारों से जो वंचित हैं,
जा सकता है वो न्यायालय,

पुरखों ने पुख्ता काम किया,
संविधान हमारे नाम किया,
चर्चा हर एक धारा पर,
सुबह से लेकर शाम किया,

देश की ऊँची शान करें,
तिरंगे का गुणगान करें,
राष्ट्र हित में जो अनिवार्य,
बिना कहे योगदान करें।

यह मेरा आजाद तिरंगा

यह मेरा आजाद तिरंगा
लहर लहर लहराए रे
भारत माँ मुस्काए तिरंगा
लहर लहर लहराए रे!!

इस झंडे का बापू जी ने
कैसा मान बढ़ाया है
लाल किले पर नेहरू जी
ने यह झंडा फहराया!!

माह जनवरी छब्बीस को हम
सब गणतंत्र मनाते
और तिरंगे को फहरा कर,
गीत ख़ुशी के गाते!!

मुझ़को मेरा देश पसन्द हैं

Poem on Republic Day in Hindi

मुझ़को मेरा देश पसन्द हैं,
इसक़ा हर सन्देश पसन्द हैं,
इसक़ी मिट्टी मे मुझ़को,

आती सोधी सी सुगन्ध हैं,
इसक़ी हर एक ब़ात निराली,
इसक़ी हर सौंगात निराली,

इसकें वीरो की गाथा सुन,
आतीं एक नईं उमंग हैंं,
क़ितनी भाषा कितनें लोग़,

हर एक़ की एक़ नईं हैं सोच,
संस्कृति सभ्यता भलें ही हों भिन्न,
मिलतें एक़ता के चिन्ह,

जो ग़र देश पर आ जाए आंच,
एक़ होक़र सब आतें साथ,
मेरा देश हैं बडा महान्,

ये हैं एक गुणो की ख़ान,
देख़ली हमनें सारी दुनियां,
पर देख़ा ना भारत जैंसा,

इस मिट्टीं मे ज़न्म लिया हैं,
इसक़ी हवाओ की ठंठक़ से,
सांसे पाती नया ज़न्म हैं,
मुझ़को मेरा देश पसन्द हैं।

Patriotic Poem on Republic Day in Hindi

मै भारतमाता क़ा पुत्र प्रतापी

मै भारतमाता क़ा पुत्र प्रतापी,
सीमा क़ी रक्षा क़रता हू।
जो आकें टक़राता हैं,
अहम् चूर भी क़रता हू।

दुश्मन क़ी कोईं भी,
दाल न ग़लती।
लडकर दूर भगाता हू,
अपनें भारत कें वीर ग़ीत को,
हर मौंके पर गाता हू।

आतंक़वादी अवसरवादीं,
आनें से टक़राते है।
आ गयें मेरी भूमि मे,
तहस-नहस हों ज़ाते है।

अपनें देश क़ी माटी क़ा,
माथें पर तिलक़ लगाता हूं।

….शंभू नाथ

माह जनवरी छब्बीस को हम
सब गणतंत्र मनाते |
और तिरंगे को फहरा कर,
गीत ख़ुशी के गाते ||

संविधान आजादी वाला,
बच्चो ! इस दिन आया |
इसने दुनिया में भारत को,
नव गणतंत्र बनाया ||

क्या करना है और नही क्या ?
संविधान बतलाता |
भारत में रहने वालों का,
इससे गहरा नाता ||

यह अधिकार हमें देता है,
उन्नति करने वाला |
ऊँच-नीच का भेद न करता,
पण्डित हो या लाला ||

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
सब हैं भाई-भाई |
सबसे पहले संविधान ने,
बात यही बतलाई ||

इसके बाद बतायी बातें,
जन-जन के हित वाली |
पढ़ने में ये सब लगती हैं,
बातें बड़ी निराली ||

लेकर शिक्षा कहीं, कभी भी,
ऊँचे पद पा सकते |
और बढ़ा व्यापार नियम से,
दुनिया में छा सकते ||

देश हमारा, रहें कहीं हम,
काम सभी कर सकते |
पंचायत से एम.पी. तक का,
हम चुनाव लड़ सकते ||

लेकर सत्ता संविधान से,
शक्तिमान हो सकते |
और देश की इस धरती पर,
जो चाहे कर सकते ||

‘भारत देश हमारा है’

भारत देश हमारा है
यह हमको जान से प्यारा है
दुनिया में सबसे न्यारा यह

सबकी आंखों का तारा है
मोती हैं इसके कण- कण में
बूँद- बूँद में सागर है

प्रहरी बना हिमालय बैठा
धरा सोने की गागर है
भूमि ये अमर जवानों की है

वीरों के बलिदानों की
रत्नों के भंडार भरे हैं
गाथा स्वर्णिम खानों की

सत्य, अहिंसा, शांति बाँटता
इसकी शान तिरंग़ा है
गोद खेलती नटखट नदियाँ

पावन यमुना- गंगा है
चंदन की माटी से महके
मातृभूमि को वंदन है

कोटि-कोटि भारतवालों का
सुंदर सा यह नंदन है

मुझको मेरा देश पसंद है

मुझको मेरा देश पसंद है,
इसका हर संदेश पसंद है,
इसकी मिट्टी में मुझको,

आती सोंधी सी सुगंध है,
इसकी हर एक बात निराली,
इसकी हर सौगात निराली,

इसके वीरों की गाथा सुन,
आती एक नई उमंग हैं,
कितनी भाषा कितने लोग,

हर एक की एक नई है सोच,
संस्कृति सभ्यता भले ही हो भिन्न,
मिलते एकता के चिन्ह,

जो गर देश पर आ जाये आंच,
एक होकर सब आते साथ,
मेरा देश है बड़ा महान,

ये है एक गुणों की खान,
देखली हमने सारी दुनिया,
पर देखा ना भारत जैसा,

इस मिट्टी में जन्म लिया है,
इसकी हवाओं की ठंठक से,
साँसे पाती नया जन्म है,
मुझको मेरा देश पसंद हैं।

कोशिश कर हल निकलेगा,

आज नहीं तो कल निकलगा।
कोशिश कर हल निकलेगा,
आज नही तो कल निकलेगा,

अर्जुन सा लक्ष्य रख निशाना लगा,
मरुस्थल से भी फिर जल निकलेगा,
मेहनत कर पौधों को पानी दे,

बंजर में भी फिर फल निकलेगा,
ताक़त जुटा, हिम्मत को आग दे,
फौलाद का भी बल निकलेगा,

सीने में उम्मीदों को ज़िंदा रख,
समन्दर से भी गंगाजल निकलेगा,
कोशिशें जारी रख कुछ कर ग़ुज़रने की,

जो कुछ थमा-थमा है चल निकलेगा,
कोशिश कर हल निकलेगा,
आज नहीं तो कल निकलगा।

Best Poem on Republic Day in Hindi

देश हमारा सबसे प्यारा,

बच्चों इसे प्रणाम करो।
देश हमारा सबसे प्यारा,
बच्चों इसे प्रणाम करो,
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,

साथ यहाँ सब रहते हैं,
सुख-दुःख जो भी इनको मिलते,
सारे मिल कर सहते हैं,
सबने मिलकर ठान लिया हैं,

भारत का यशमान मान करो,
बच्चों इसे प्रणाम करो।
होली, दिवाली, क्रिसमस सब त्यौहार हम मनाते हैं,
और ईद के अवसर पर हम सबको गले लगाते हैं,

यह भारत की परंपरा है,
इसका तुम सम्मान करो,
बच्चों इसे प्रणाम करो,
मानवता की रक्षा करते,

मानव धर्म निभाते हैं,
ठुकराया हो जिसको जग ने,
हम उसको अपनाते हैं,
ऐसा भारत अपना भारत,

इसका तुम गुणगान करो,
बच्चों इसे प्रणाम करो,
देश हमारा सबसे प्यारा,
बच्चों इसे प्रणाम करो।

गणतंत्र दिवस पर कविता

गणतंत्र दिवस का है अवसर,
हिस्सा लें इसमें बढ़ चढ़ कर,
निकाल के अपने सारे डर,
बढ़ते चले जीवन पथ पर,

इस पावन दिन ये ध्यान करें,
संविधान का सब सम्मान करें,
इतने सारे अधिकार जो दे,
सदा समर्पित उसको प्राण करें,

संविधान ने हर अधिकार दिया,
सबका सपना साकार किया,
शोषित वर्षों से था भारत,
उसको एक नया आकार दिया,

लोगों के मन में ना हो भय,
इसलिए सरकार की सिमा तय,
अधिकारों से जो वंचित हैं,
जा सकता है वो न्यायालय,

पुरखों ने पुख्ता काम किया,
संविधान हमारे नाम किया,
चर्चा हर एक धारा पर,
सुबह से लेकर शाम किया,

देश की ऊँची शान करें,
तिरंगे का गुणगान करें,
राष्ट्र हित में जो अनिवार्य,
बिना कहे योगदान करें।

‘देखो 26 जनवरी आई’

देखो 26 जनवरी है आयी,
गणतंत्र की सौगात है लायी।।
अधिकार दिए हैं इसने अनमोल,
जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध।।

हर साल 26 जनवरी को,
होता है वार्षिक आयोजन।
लाल किले पर होता है,
जब प्रधानमंत्री का भाषण।।
नई उम्मीद और नये पैगाम से,
करते हैं देश का अभिवादन।।

अमर जवान ज्योति,
इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन।
2 मिनट के मौन धारण से,
होता शहीदों को शत-शत नमन।।

सौगातों की सौगात है,
गणतंत्र हमारा महान है।
आकार में विशाल है,
हर सवाल का जवाब है।।

संविधान इसका संचालक है,
हम सबका बो पालक है।
लोकतंत्र जिसकी पहचान है,
हम सबकी ये शान है।।
गणतंत्र हमारा महान है,
गणतंत्र हमारा महान है।।

पावन हैं गणतंत्र यह

Poem on Republic Day in Hindi

पावन हैं गणतंत्र यह, क़रो ख़ूब गुणगान।
भाषण-ब़रसाकर बनों, वक्ता चतुर सुज़ान॥
वक्ता चतुर सुज़ान, देश का गौंरव गाओं।
श्रोताओ का मान क़रो नारें लगवाओं॥
इसी रीतिं से बनों सुनेता ‘रामसुहावन’।
कीर्तिं-लाभ क़ा समय सुहाना यह दिंन पावन॥
भाईं तुमक़ो यदि लगा, ज़न सेवा का रोग़।
प्रजातन्त्र की ओट मे, राज़तंत्र को भोग॥

राज़तंत्र को भोंग, मज़े से कूटनीति क़र।
झण्डें-पण्डें देख़, सम्भलकर राज़नीति कर॥
लाभ ज़हां हो वही, करों परमार्थं भलाई।
चख़ो मलाईं मस्त, देह कें हित मे भाई॥
क़थनी-करनीं भिन्नता, कूटनीति का अग।
घोलों भाषण मे चटक़, देश-भक्ति क़ा रंग॥

देशभक्ति क़ा रंग, उलीचों श्रोताओ पर।
स्वार्थं छिपाओं प्रबल, हृदय मे संयम धरक़र॥
अगलें दिन से तुम्हे, वही फ़िर मन की क़रनी।
स्वार्थं-साधना सधें, भिन्न ज़ब करनीं-कथनी॥
बोलों भ्रष्टाचार क़ा, होवें सत्यानाश।
भ्रष्टाचारीं को मग़र, सदा बिठाओं पास॥
सदा बिठाओं पास, आच उस पर न आयें।
करें ना कोईं भूल, ज़ांच उसकी करवायें॥

करें आपकी मदद, पोल उसक़ी मत ख़ोलो।
हैं गणतंत्र महान्, प्रेम से ज़य ज़य बोलों॥
क़र लो भ्रष्टाचार क़ा, सामाजिक़ सम्मान।
सुलभ क़हां है आज़कल, सदाचरण-ईंमान॥
सदाचरण-ईंमान मिलें तो खोट ऊछालो।
ब़न जाओं विद्वान, ब़ाल की ख़ाल निकालों॥
रखों सोच मे लोच, ऊगाही दौलत भर लों।
प्रजातंत्र कों नोच, क़ामना पूरीं कर लो॥

माह जनवरी छब्बीस को हम

माह जनवरी छब्बीस को हम
सब गणतंत्र मनाते |
और तिरंगे को फहरा कर,
गीत ख़ुशी के गाते ||

संविधान आजादी वाला,
बच्चो ! इस दिन आया |
इसने दुनिया में भारत को,
नव गणतंत्र बनाया ||

क्या करना है और नही क्या ?
संविधान बतलाता |
भारत में रहने वालों का,
इससे गहरा नाता ||

यह अधिकार हमें देता है,
उन्नति करने वाला |
ऊँच-नीच का भेद न करता,
पण्डित हो या लाला ||

हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
सब हैं भाई-भाई |
सबसे पहले संविधान ने,
बात यही बतलाई ||

इसके बाद बतायी बातें,
जन-जन के हित वाली |
पढ़ने में ये सब लगती हैं,
बातें बड़ी निराली ||

लेकर शिक्षा कहीं, कभी भी,
ऊँचे पद पा सकते |
और बढ़ा व्यापार नियम से,
दुनिया में छा सकते ||

देश हमारा, रहें कहीं हम,
काम सभी कर सकते |
पंचायत से एम.पी. तक का,
हम चुनाव लड़ सकते ||

लेकर सत्ता संविधान से,
शक्तिमान हो सकते |
और देश की इस धरती पर,
जो चाहे कर सकते ||

लेकिन संविधान को पढ़कर,
मानवता को जाने |
अधिकारों के साथ जुड़ें,
कर्तव्यों को पहचानो ||

Long Poem on Republic Day in Hindi

हम आज़ादी के मतवालें

हम आज़ादी के मतवालें,
झ़ूमे सीना तानें।
हर साल मनातें उत्सव,
गणतंत्र क़ा महजब ज़ाने।

संविधान क़ी भाषा बोलें,
रग़-रग़ मे कर्तंव्य घोंले।
गुलामी की बेड़ियो क़ो,
ज़ब रावीं-तट पर तोडा था।

उसीं अवसर पर तों,
हमने संविधान सें नाता जोडा था।
हर साल हम उसीं अवसर पर,
गणतंत्र उत्सव मनातें है।।

पूरा भारत झ़ूमता रहता हैं,
और हम नाचतें-गाते है।
राससींना की पहाडी से,
शेर-ए-भारत ब़िगुल ब़जाता हैं।

अपनें शहीदो को करकें याद,
पुनः शक्ति पा ज़ाता हैं।।

आज तिरंगा फहराते है

आज तिरंगा फहराते है
अपनी पूरी शान से
हमें मिली आजादी
वीर शहीदों के बलिदान से!!

आजादी के लिए हमारी
लंबी चली लड़ाई थी
लाखों लोगों ने प्राणों से
कीमत बड़ी चुकाई थी!!

व्यापारी बनकर आए और
छल से हम पर राज किया
हमको आपस में लड़वाने की
नीति पर उन्होंने काम किया!!

हमने अपना गौरव पाया
अपने स्वाभिमान से
हमें मिली आज़ादी
वीर शहीदों के बलिदान से!!

गांधी, तिलक, सुभाष,
जवाहर का प्यारा यह देश है
जियो और जीने दो का
सबको देता संदेश है!!

लगी गूंजने दसों दिशाएं
वीरों के यशगान से
हमें मिली आजादी वीर
शहीदों के बलिदान से!!

हमें हमारी मातृभूमि से
इतना मिला दुलार है
उसके आंचल की छाया से
छोटा यह संसार है!!

विश्व शांति की चली हवाएं
अपने हिंदुस्तान से
हमें मिली आज़ादी
वीर शहीदों के बलिदान से!!

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आज नई सज-धज से

आज नई सज-धज से
गणतंत्र दिवस फिर आया है।
नव परिधान बसंती रंग का
माता ने पहनाया है।

भीड़ बढ़ी स्वागत करने को
बादल झड़ी लगाते हैं।
रंग-बिरंगे फूलों में
ऋतुराज खड़े मुस्काते हैं।

धरनी मां ने धानी साड़ी
पहन श्रृंगार सजाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।

भारत की इस अखंडता को
तिलभर आंच न आने पाए।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
मिलजुल इसकी शान बढ़ाएं।

युवा वर्ग सक्षम हाथों से
आगे इसको सदा बढ़ाएं।
इसकी रक्षा में वीरों ने
अपना रक्त बहाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।

…..निर्मला श्रीवास्तव

गणतंत्र की प्रतिज्ञा

26 जनवरी को आता हमारा गणतंत्र दिवस,
जिसे मिलकर मनाते हैं हम सब हर वर्ष।
इस विशेष दिन भारत बना था प्रजातंत्र,

इसके पहले तक लोग ना थे पूर्ण रूप से स्वतंत्र।
इसके लिए किये लोगो ने अनगिनत संघर्ष,
गणतंत्र प्राप्ति से लोगों को मिला नया उत्कर्ष।

गणतंत्र द्वारा मिला लोगों को मतदान का अधिकार,
जिससे बनी देशभर में जनता की सरकार।
इसलिए दोस्तों तुम गणतंत्र का महत्व समझो,
चंद पैसो की खातिर अपना मतदान ना बेचो।

क्योंकि यदि ना रहेगा हमारा यह गणतंत्र,
तो हमारा भारत देश फिर से हो जायेगा परतंत्र।
तो आओ हम सब मिलकर ले प्रतिज्ञा,
मानेंगे संविधान की हर बात ना करेंगे इसकी अवज्ञा।

अमर रहे यह गणतंत्र भारत

लो जी फिर से आया गणतंत्र
देश भक्ति के शुरू हुए मंत्र

सब गा रहे जी राष्ट्र प्रेम तराने
याद कर रहे शहीदों के जमाने

कैसे लड़े भगत सिंह, आजाद
किये अंग्रेजों से खूब फसाद

फिरंगियों की कैसे जड़ें हिलाई
दुनिया को इंकलाब दिया दिखाई

कैसे बच्चा बच्चा बोला चाहिए स्वराज
छीन के रहेंगे तुमसे हम अपना राज

कैसे 57 की क्रांति से धधके शोले
47 तक आ बने थे बारूद के गोले

सुभाष ने अंडमान सिंगापूर में चने चबवाये
गाँधी की लाठी से कैसे हर बार मुकी खाये

किया कैसे हमने एकजुट भारत
लिख स्वाधीनता की नई इबारत

होकर आजाद कैसे रचा संविधान
बना विश्व का सबसे लोकतंत्र महान

देखते देखते 26 जनवरी बनी राष्ट्र प्रतीक
गणतंत्र दिवस के रूप अब शौर्य की दिखी जीत

करोड़ों देशभक्तो ने दी इसके लिए शहादत
सदा सदा को अमर रहे यह गणतंत्र भारत

….लोकेश इंदौरा

Desh Bhakti Kavita in Hindi

देश हमारा सबसे प्यारा
बच्चो इसे प्रणाम करो…

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
साथ यहा सब रहते हैं।

सुख दुख जो भी इनको
मिलते सारे मिलकर सहते है

सबने मिलकर ठान लिया है
भारत का यशगान करो
बच्चो इसे प्रणाम करो।

होली दिवाली क्रिसमस
सब हम त्योहार मानते हैं

ओर ईद के अवसर पर हम
सबको गले लगाते हैं।

यह भारत की परम्परा है
इसका तुम समान करो

बच्चो इसे प्रणाम करो…
मानवता की रक्षा करते

मानव धर्म निभाते हैं
ठुकराया हो जिसको सब ने

हम उसको अपनाते हैं
ऐसा भारत अपना भारत

इसका तुम गुणगान करो
बच्चो इसे प्रणाम करो…

देश हमारा सबसे प्यारा
बच्चो इसे प्रणाम करो।
गणतंत्र दिवस की शुभकामना

गीत विजय के

प्राची से झाँक रही ऊषा,
कुंकुम-केशर का थाल लिये।
हैं सजी खड़ी विटपावलियाँ,
सुरभित सुमनों की माल लिये॥

गंगा-यमुना की लहरों में,
है स्वागत का संगीत नया।
गूँजा विहगों के कण्ठों में,
है स्वतन्त्रता का गीत नया॥

प्रहरी नगराज विहँसता है,
गौरव से उन्नत भाल किये।
फहराता दिव्य तिरंगा है,
आदर्श विजय-सन्देश लिये॥

गणतन्त्र-आगमन में सबने,
मिल कर स्वागत की ठानी है।
जड़-चेतन की क्या कहें स्वयं,
कर रही प्रकृति अगवानी है॥

कितने कष्टों के बाद हमें,
यह आज़ादी का हर्ष मिला।
सदियों से पिछड़े भारत को,
अपना खोया उत्कर्ष मिला॥

धरती अपनी नभ है अपना,
अब औरों का अधिकार नहीं।
परतन्त्र बता कर अपमानित,
कर सकता अब संसार नहीं॥

क्या दिये असंख्यों ही हमने,
इसके हित हैं बलिदान नहीं।
फिर अपनी प्यारी सत्ता पर,
क्यों हो हमको अभिमान नहीं॥

पर आज़ादी पाने से ही,
बन गया हमारा काम नहीं।
निज कर्त्तव्यों को भूल अभी,
हम ले सकते विश्राम नहीं॥

प्राणों के बदले मिली जो कि,
करना है उसका त्राण हमें।
जर्जरित राष्ट्र का मिल कर फिर,
करना है नव-निर्माण हमें॥

इसलिये देश के नवयुवको!
आओ कुछ कर दिखलायें हम।
जो पंथ अभी अवशिष्ट उसी,
पर आगे पैर बढ़ायें हम॥

भुजबल के विपुल परिश्रम से,
निज देश-दीनता दूर करें।
उपजा अवनी से रत्न-राशि,
फिर रिक्त-कोष भरपूर करें॥

दें तोड़ विषमता के बन्धन,
मुखरित समता का राग रहे।
मानव-मानव में भेद नहीं,
सबका सबसे अनुराग रहे,

कोई न बड़ा-छोटा जग में,
सबको अधिकार समान मिले।
सबको मानवता के नाते,
जगतीतल में सम्मान मिले॥

विज्ञान-कला कौशल का हम,
सब मिलकर पूर्ण विकास करें।
हो दूर अविद्या-अन्धकार,
विद्या का प्रबल प्रकाश करें॥

हर घड़ी ध्यान बस रहे यही,
अधरों पर भी यह गान रहे।
जय रहे सदा भारत माँ की,
दुनिया में ऊँची शान रहे॥

….महावीर प्रसाद

झंडा ऊंचा रहे हमारा

झंडा ऊंचा रहे हमारा
यह हम सबकी आंखों का तारा
भारत का संविधान रहे
हमारी मान पहचान रहे

इसको नीचे ना गिरने दे हम
यह हमारा संविधान रहे
राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान का अभिमान रहे
झंडा ऊंचा रहे हमारा

यह हम सबकी शान रहे
भाईचारे प्रेम शांति का देता यह संदेश
अशोक चक्र की 24 तीलियां देती प्रगति का संदेश
सफेद रंग ही शांति का प्रतीक

केसरिया रंग है क्रांति का प्रतीक
हरा रंग हरियाली का प्रतीक
प्रेम से रहे ये देश हमारा
हम सबकी आंखों का तारा

झंडा ऊंचा रहे हमारा
इसकी शान मै सर झुके
चाहे कर जाए सर हमारा
पर झंडा ऊंचा रहे हमारा।।

हम भारत के निवासी

हम भारत के निवासी संविधान का मान करें
ना लड़े कभी एक दूसरे से भाईचारे का सम्मान करें
जातिवाद पर ना बाटे ना सिख ईसाई मुस्लिम करें
भारत एक जुट रहे सदा, ये पैगाम सबके नाम करे।।

बहुत लड़ी लड़ाइयां इस दिन को लाने में
सरहदों पर खून बहाया सैनिक वीर जवानों
गोली बारूद से खेले भारत के रण आशियाने में
तब आया गणतंत्र महान भारत देश संविधान में।।

बहुत बांटा अंग्रेजों ने जाति धर्म के नाम पर
अत्याचार किए भारत पर और संविधान पर
ना आजादी मिली किसी को मनमर्जी से रहने की
ना खाने की ना पीने की ना स्वतंत्र घूमने की।।

उसी समय जब आजादी का परचम लहराया था
आंदोलन हुए अंग्रेजों को मार भगाया था
तब जाकर कहीं संविधान बन पाया था
राष्ट्र की उत्पत्ति में योगदान निभाया था
जब जाकर 26 जनवरी गणतंत्र दिवस मनाया था।।

संविधान की सीरत

Poem on Republic Day in Hindi

हमारा गणतंत्र हमारे देश की है शान
जुड़ा है इससे हिन्दुस्तान का स्वाभिमान

गणतंत्र देश दुनिया में मिले बहुत कम
कहीं राजा का राज कहीं वर्चस्व का दम

किन्तु भारत का संविधान सबसे खूबसूरत
सब संविधानों में इसकी सबसे अच्छी सीरत

सभी धर्म रंगों को दिया समान अधिकार
दूर करने के बनाये मार्ग जो भी हैं विकार

सबके साथ समान न्याय हो इसका भी प्रावधान
पिछड़े शोषित जनों को प्रदान करे सम्मान

सबको है पूरी पूरी बोलने की यहाँ आजादी
किसी का स्वर दब ना सके चाहे है बड़ी आबादी

देश के प्रति हर व्यक्ति कर्तव्य भी बतलाये
पर किसी भी देशवासी पर दबाव ना बनाये

संविधान नहीं मानों ऐसी संस्कृति जो सबको अपनाये
ऐसे संविधान का हकदार तो भाग्यशाली ही कहलाये

फिर भी इसमें बुराई ढूंढो तो यह है तुम्हारी मर्जी
संविधान तो कबूल करे यह भी तुम्हारी अर्जी

Republic Day Poem

राष्ट्रीय त्यौहार गणतंत्र दिवस

गणतंत्र दिवस है कितना प्यारा,
यह राष्ट्रीय त्यौहार हमारा।

भारतवर्ष का गौरव होकर,
भारत का मान बढ़ाता।
एकता और समता का पाठ सिखाके,
देश को महान बनाता।

गणतंत्र दिवस है कितना प्यारा,
यह राष्ट्रीय त्यौहार हमारा।

देशभक्ति के रंग में रंगा,
इसका तो हर रंग निराला।
चंदन की माटी से महके,
इसमें ख़ुशियों का यहाँ बोलबाला।

गणतंत्र दिवस है कितना प्यारा,
यह राष्ट्रीय त्यौहार हमारा।

देश को एक सूत्र में पिरोकर,
देश का सम्मान बढ़ाता।
ये ऐसा त्यौहार है,
जो देश का अभिमान जगाता।

गणतंत्र दिवस है कितना प्यारा,
यह राष्ट्रीय त्यौहार हमारा।

….निधि अग्रवाल

भारत देश हमारा है यह
हमको जान से प्यारा है
दुनिया में सबसे न्यारा यह
सबकी आंखों का तारा है
मोती हैं इसके कण- कण में
बूँद- बूँद में सागर है
प्रहरी बना हिमालय बैठा
धरा सोने की गागर है
भूमि ये अमर जवानों की है
वीरों के बलिदानों की
रत्नों के भंडार भरे हैं
गाथा स्वर्णिम खानों की
सत्य, अहिंसा, शांति बाँटता
इसकी शान तिरंग़ा है
गोद खेलती नटखट नदियाँ
पावन यमुना- गंगा है
चंदन की माटी से महके
मातृभूमि को वंदन है
कोटि-कोटि भारतवालों का
सुंदर सा यह नंदन है
दुनिया में सबसे न्यारा यह
सबकी आँखों का तारा है
हमको जान से प्यारा यह
भारत देश हमारा है.-
जय हिन्द ,जय भारत.

‘मत घबराओ, वीर जवानों’

मत घबराओ, वीर जवानों
वह दिन भी आ जाएगा।
जब भारत का बच्चा-बच्चा,
देश भक्त बन जाएगा।।
कोई वीर अभिमन्यु बनकर,

चक्रव्यूह को तोड़ेगा।
कोई वीर भगत सिंह बन कर,
अंग्रेजों के सिर फोड़ेगा।।
धीर धरो तुम वीर जवानों,

मत घबराओ वीर जवानों।
वह दिन भी आ जाएगा,
जब भारत का बच्चा-बच्चा,
देश भक्त बन जाएगा।।

कल-कल करती गंगा यमुना,
जिसके गुण ये गाती है।
भारत की इस पुण्य धरा में,
अपना गुंजार सुनती हैं।।

आज तिरंगे के रंगों को,
फीका नहीं होने देंगे।
इस तिरंगे की शान के लिए,
अपना सर्वस्व लुटा देंगे।।

अब मत घबराओ वीर शहीदों,
मत घबराओ वीर जवानों।
वह दिन भी आ जाएगा,
जब भारत का बच्चा-बच्चा,

देश भक्त बन जाएगा।।
वीर अमर शहीदों की कुर्बानी को,
कोई भुला ना पाएगा।
जब अत्याचार बढ़ेगा धरती पर,

एक महापुरुष आ जाएगा।
मत घबराओ वीर जवानों,
जब भारत का बच्चा-बच्चा,
देश भक्त बन जाएगा।।

Republic Day Poem for Child

गणतंत्र दिवस 2023 पर कविता

26 जनवरी को आता हमारा गणतंत्र दिवस,
जिसे मिलकर मनाते हैं हम सब हर वर्ष।

इस विशेष दिन भारत बना था प्रजातंत्र,
इसके पहले तक लोग ना थे पूर्ण रूप से स्वतंत्र।

इसके लिए किये लोगो ने अनगिनत संघर्ष,
गणतंत्र प्राप्ति से लोगों को मिला नया उत्कर्ष।

गणतंत्र द्वारा मिला लोगों को मतदान का अधिकार,
जिससे बनी देशभर में जनता की सरकार।

इसलिए दोस्तों तुम गणतंत्र का महत्व समझो,
चंद पैसो की खातिर अपना मतदान ना बेचो।

क्योंकि यदि ना रहेगा हमारा यह गणतंत्र,
तो हमारा भारत देश फिर से हो जायेगा परतंत्र।

तो आओ हम सब मिलकर ले प्रतिज्ञा,मानेंगे
संविधान की हर बात ना करेंगे इसकी अवज्ञा।

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