Hindi Poem for Class 8 | कक्षा 8 के लिए हिंदी कविता

Through this poem, we give a message to the children that Hindi language is very important for them and they should understand and learn it. Apart from this, through this poem, we also teach children about the ideals that a good boy or girl should have. Hindi Poem for Class 8 this poem tells them about good behavior, manners, understanding and healthy state of mind both in their school and at home. In short, this poem enables children to move forward in their lives with a full cultural experience.

Hindi Poem for Class 8

Hindi Poem for Class 8

Today we have brought before you a very beautiful Hindi poem, which has been made for children. This poem teaches children about values, ethics and good manners. Hindi Poem for Class 8 this poem is a part of our culture and heritage which we should always cherish. so let’s start the poem

Hindi Poems for Class 8 for Kids

1. जब सूरज जग जाता है

आंखें मलकर धीरे-धीरे,
सूरज जब जग जाता है।
सिर पर रखकर पांव अंधेरा,
चुपके से भग जाता है।

हौले से मुस्कान बिखेरी,
पात सुनहरे हो जाते।
डाली-डाली फुदक-फुदक कर,
सारे पंछी हैं गाते।

थाल भरे मोती लेकर के,
धरती स्वागत करती है।
नटखट किरणें वन-उपवन में,
खूब चौंकड़ी भरती हैं।

कल-कल बहती हुई नदी में,
सूरज खूब नहाता है।
कभी तैरता है लहरों पर,
डुबकी कभी लगाता है।

पर्वत-घाटी पार करे,
मैदानों में चलता है।
दिनभर चलकर थक जाता,
सांझ हुए फिर ढलता है।

नींद उतरती आंखों में,
फिर सोने चल देता है।
हमें उजाला दे करके,
कभी नहीं कुछ लेता है।

….रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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2. ध्वनि

Hindi Poem for Class 8

अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत-

अभी न होगा मेरा अंत।हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर

फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर।
पुष्प-पुष्प से तंद्रालस

लालसा खींच लूँगा मैं,
अपने नव जीवन का
अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं,

द्वार दिखा दूँगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत-
अभी न होगा मेरा अंत।

….सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

3.कदम कदम बढ़ाये जा

कदम कदम बढ़ाये जा
खुशी के गीत गाये जा
ये जिंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाये जा

तू शेर-ए-हिन्द आगे बढ़
मरने से तू कभी न डर
उड़ा के दुश्मनों का सर
जोश-ए-वतन बढ़ाये जा

कदम कदम बढ़ाये जा
खुशी के गीत गाये जा
ये जिंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाये जा

हिम्मत तेरी बढ़ती रहे
खुदा तेरी सुनता रहे
जो सामने तेरे खड़े
तू खाक में मिलाये जा

कदम कदम बढ़ाये जा
खुशी के गीत गाये जा
ये जिंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाये जा

चलो दिल्ली पुकार के
ग़म-ए-निशाँ संभाल के
लाल क़िले पे गाड़ के
लहराये जा लहराये जा

कदम कदम बढ़ाये जा
खुशी के गीत गाये जा
ये जिंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाये जा

….कैप्टन राम सिंह

Hindi Poem for Class 8 Students

4. सुबह

सूरज की किरणें आती हैं,
सारी कलियां खिल जाती हैं,
अंधकार सब खो जाता है,
सब जग सुंदर हो जाता है।

चिड़ियां गाती हैं मिलजुल कर,
बहते हैं उनके मीठे स्वर,
ठंडी-ठंडी हवा सुहानी,
चलती है जैसी मस्तानी।

यह प्रात की सुख बेला है,
धरती का सुख अलबेला है,
नई ताजगी, नई कहानी,
नया जोश पाते हैं प्राणी।

खो देते हैं आलस सारा,
और काम लगता है प्यारा,
सुबह भली लगती है उनको,
मेहनत प्यारी लगती जिनको।

मेहनत सबसे अच्छा गुण है,
आलस बहुत बड़ा दुर्गुण है,
अगर सुबह भी अलसा जाए,
तो क्या जग सुंदर हो पाए?

….श्री प्रसाद

5. नर हो, न निराश करो मन को

नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रहकर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो

समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को
संभलों कि सुयोग न जाय चला

कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला
समझो जग को न निरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना
अखिलेश्वर है अवलंबन को

नर हो, न निराश करो मन को
जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो

उठके अमरत्व विधान करो
दवरूप रहो भव कानन को
नर हो न निराश करो मन को
निज़ गौरव का नित ज्ञान रहे

हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे
मरणोंत्‍तर गुंजित गान रहे
सब जाय अभी पर मान रहे
कुछ हो न तज़ो निज साधन को

नर हो, न निराश करो मन को
प्रभु ने तुमको दान किए
सब वांछित वस्तु विधान किए
तुम प्राप्‍त करो उनको न अहो

फिर है यह किसका दोष कहो
समझो न अलभ्य किसी धन को
नर हो, न निराश करो मन को
किस गौरव के तुम योग्य नहीं

कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं
जान हो तुम भी जगदीश्वर के
सब है जिसके अपने घर के
फिर दुर्लभ क्या उसके जन को

नर हो, न निराश करो मन को
करके विधि वाद न खेद करो
निज़ लक्ष्य निरन्तर भेद करो
बनता बस उद्‌यम ही विधि है

मिलती जिससे सुख की निधि है
समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को
नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो

….मैथिलीशरण गुप्त

6. आए बादल

आसमान पर छाए बादल,
बारिश लेकर आए बादल।

गड़-गड़, गड़-गड़ की धुन में,
ढोल-नगाड़े बजाए बादल।

बिजली चमके चम-चम, चम-चम,
छम-छम नाच दिखाए बादल।

चले हवाएं सन-सन, सन-सन,
मधुर गीत सुनाए बादल।

बूंदें टपके टप-टप, टप-टप,
झमाझम जल बरसाए बादल।

झरने बोले कल-कल, कल-कल,
इनमें बहते जाए बादल।

चेहरे लगे हंसने-मुस्कुराने,
इतनी खुशियां लाए बादल।

….ओम प्रकाश चोरमा

7. गुड़िया

मेले से लाया हूँ इसको
छोटी सी प्यारी गुड़िया,
बेच रही थी इसे भीड़ में
बैठी नुक्कड़ पर बुढ़िया।

मोल-भाव करके लाया हूँ
ठोक-बजाकर देख लिया,
आँखें खोल मुँद सकती है
वह कहती है पिया-पिया।

जड़ी सितारों से है इसकी
चुनरी लाल रंग वाली,
बड़ी भली हैं इसकी आँखें
मतवाली काली-काली।

ऊपर से है बड़ी सलोनी
अंदर गुदड़ी है तो क्या?
ओ गुड़िया तू इस पल मेरे
शिशुमन पर विजयी माया।

रखूंगा मैं तुझे खिलौनों की
अपनी अलमारी में,
कागज़ के फूलों की नन्हीं
रंगारंग फुलवारी में।

नये-नये कपड़े-गहनों से
तुझको रोज़ सजाऊँगा,
खेल-खिलौनों की दुनिया में
तुझको परी बनाऊँगा।

….कुवर नारायण

Hindi Poems for Class 8 in India

8. पुष्प की अभिलाषा

चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ

चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ

चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊँ

चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ

मुझे तोड़ लेना वनमाली
उस पथ पर देना तुम फेंक

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पर जावें वीर अनेक ।।

….माखनलाल चतुर्वेदी

9. क़ल क़़ल छल छल जैंसे अविरल

Hindi Poem for Class 8

क़ल क़़ल छल छल जैंसे अविरल
ब़हता हैं नदियो क़ा जल
गुज़र जाता कुछ़ ऐसे हीं

जीवन सरिता क़ा हर पल
ब़़नकर क़़ल आज़ और कल।
हर आज़ ब़न जाता है बीतक़र

बीता हुआ व़ह कल
आनें वाला कल भीं
भोर से पहले ही फिर

ब़न जाता हैं आज़।
कोईं न जान स़़का
इस आज़़ कल का राज़़

न जाने कैंसा होगा वह
आने वाला क़ल।
क्यो न खुशियो से भर ले

जीवन क़़ा यह स्वर्णिंम पल
क़ल किसने देखा
किसी ने नही देख़ा कल।

….गोविंद बल्लभ बहुगुणा

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10. दीवानों की हस्ती

हम दीवानों की क्या हस्ती,
हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले,
मस्ती का आलम साथ चला,
हम धूल उड़ाते जहाँ चले।

आए बनकर उल्लास अभी,
आँसु बनकर बह चले अभी,
सब कहते ही रह गए, अरे,
तुम कैसे आए, कहाँ चले?

किस ओर चले? यह मत पूछो,
चलना है, बस इसलिए चले,
जग से उसका कुछ लिए चले,
जग को अपना कुछ दिए चले,

दो बात कही, दो बात सुनी;
कुछ हँसे और फिर कुछ रोए।
छककर सुख-दूख के घूँटों क
हम एक भाव से पिए चले।

हम भिखमंगों की दुनिया में,
स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले
हम एक निसानी-सी उर पर,
ले असफलता का भार चले।

अब अपना और पराया क्या?
आबाद रहें रुकने वाले।
हम स्वयं बँधे थे और स्वयं
हम अपने बंधन तोड़ चले।

….भगवतीचरण वर्मा

Funny Poems for Kids- Grade 8

11. तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्या

तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्या

तारक में छवि, प्राणों में स्मृति
पलकों में नीरव पद की गति
लघु उर में पुलकों की संसृति

भर लाई हूँ तेरी चंचल
और करूँ जग में संचय क्या!

तेरा मुख सहास अरुणोदय
परछाई रजनी विषादमय
वह जागृति वह नींद स्वप्नमय

खेलखेल थकथक सोने दे
मैं समझूँगी सृष्टि प्रलय क्या!

तेरा अधर विचुंबित प्याला
तेरी ही स्मित मिश्रित हाला,
तेरा ही मानस मधुशाला

फिर पूछूँ क्या मेरे साकी
देते हो मधुमय विषमय क्या!

रोमरोम में नंदन पुलकित
साँससाँस में जीवन शतशत
स्वप्न स्वप्न में विश्व अपरिचित

मुझमें नित बनते मिटते प्रिय
स्वर्ग मुझे क्या निष्क्रिय लय क्या!

हारूँ तो खोऊँ अपनापन
पाऊँ प्रियतम में निर्वासन
जीत बनूँ तेरा ही बंधन

भर लाऊँ सीपी में सागर
प्रिय मेरी अब हार विजय क्या!

चित्रित तू मैं हूँ रेखाक्रम
मधुर राग तू मैं स्वर संगम
तू असीम मैं सीमा का भ्रम

काया छाया में रहस्यमय
प्रेयसि प्रियतम का अभिनय क्या!

तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्या

….महादेवी वर्मा

12. मै सब़के साथ चल़ता हूं

मै सब़के साथ चल़ता हूं,
रुक़़ता नही किसी के लिए,
एक़़ ही ग़ति हैं मेरी,

क़़भी भाग़़ता हुआ लग़ता हूं,
क़़भी थ़़मा – सा प्रतीत होता हूं,
मै ही ज़गाता हूं,

मै ही सुलाता हू,
मै ही हंसाता हूं,
मै ही रुलाता हूं।

मेरी अहमियत मै नही ज़़ानता,
ज़ानने वाला भी तू हैं,
ऩ मानने वाला भीं तू हैं,

क़भी मै तुझे भग़ाता हूं,
क़़भी तू मुझे भग़ाता हैं,
दोनो ही पहलू मे,

तू ख़़ुद को ही सताता हैं ।
मेरा क्या , मेरें तो सबं है,
और तेरा क्या?

तेरा ब़स मै हूं !
छोड़ चले ऩ सब़़ तुझें,
और तूने मुझको छोड़ दिया,

क्या पाया तूने ब़ता अब़?
जो मुझसे मुख़ मोड़ दिया!
ऩ मै लौटूगा, ऩ वो लौटेगे,

मै तो साथ चलूगा तेरे हमेशा,
पर वो़ तुझे पलटक़र भी ऩ़ देखेगे!
लम्हे़ थे वो, क़ल थे,

मै समय हूं, आज हूं!

….शैफाली अग्रवाल

13. बढ़े चलो

वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो
साथ में ध्वजा रहे

बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं
दल कभी रुके नहीं

सामने पहाड़ हो
सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर,हटो नहीं

तुम निडर,डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो

प्रात हो कि रात हो
संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो

चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो

एक ध्वज लिये हुए
एक प्रण किये हुए
मातृ भूमि के लिये

पितृ भूमि के लिये
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो

अन्न भूमि में भरा
वारि भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो

रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो
धीर तुम बढ़े चलो

….द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी

Poems for 8th Class in Hindi

14. नजरों को ओट कर दे

नजरों को ओट कर दे
ढक ले अपने चेहरे को
यूं ही ना भटक गलियों में
यह समय कातिलाना है

मिल बैठे थे जो यार चार
अब कोई नहीं दिखता है
मिलना-जुलना अभी रहने दे
यह समय कातिलाना है

गले लगने की कौन कहे
हाथ मिलाने में भी डर लगता है
दो गज दूर ही रह ले
यह समय कातिलाना है

साये मौत के मंडरा रहे वहां
जहां लोग घुल-मिल रहे
श्रद्धांजलियां जहाँ-तहाँ
यह समय कातिलाना है

अकेले ही भाग चल तू
एकांत में रहना ही भला
बड़ा नाजुक दौर समझ ले
यह समय कातिलाना है

हवा का रुख बदलेगा अव्यक्त
वक्त लगेगा उसमें कुछ और
धैर्य धर ले इंतजार कर
यह समय कातिलाना है ।

….हेमंत कुमार दुबे अव्यक्त

15. जो बीत गई

जो बीत गई सो बात गई!
जीवन में एक सितारा था
माना, वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया;

अंबर के आनन को देखो,
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले;

पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है!
जो बीत गई सो बात गई!
जीवन में वह था एक कुसुम,

थे उस पर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया;
मधुवन की छाती को देखो,
सूखीं कितनी इसकी कलियाँ,

मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ जो
मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं;
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है;

जो बीत गई सो बात गई!
जीवन में मधु का प्याला था,
तुमने तन-मन दे डाला था,
वह टूट गया तो टूट गया;

मदिरालय का आँगन देखो,
कितने प्याले हिल जाते हैं,
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं,
जो गिरते हैं कब उठते हैं;

पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है!
जो बीत गई सो बात गई!
मृदु मिट्टी के हैं बने हुए,

मधुघट फूटा ही करते हैं,
लघु जीवन लेकर आए हैं,
प्याले टूटा ही करते हैं,
फिर भी मदिरालय के अंदर

मधु के घट हैं, मधुप्याले हैं,
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं;
वह कच्चा पीने वाला है

जिसकी ममता घट-प्यालों पर,
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है, चिल्लाता है!
जो बीत गई सो बात गई!

….हरिवंश राय बच्चन

16. समय का पहिया चलता जाए

समय का पहिया चलता जाए,
समय अनमोल हमें सिखाए।
जो समय को व्यर्थ गँवाते,

लुटाकर मनके भी वापस न पाते।
खोया स्वास्थ्य हम पा सकते हैं,
परिश्रम से असफलता मिटा सकते हैं।

पर गया समय न लौटकर आता,
समय गँवाने पर हर कोई पछताता।
समय के साथ घूमे धरती,

एक पल विश्राम न करती।
समय और लहरें बढ़ती जातीं,
कभी लौट कर नहीं वे आतीं।

आज का काम न कल पर टालो,
आज, अभी, तुरंत कर डालो।
समय का महत्व जीवन में लाओ,

हर काम की समय तालिका बनाओ।
जो समय का सदुपयोग हैं करते,
जीवन के सफलता से दामन हैं भरते।

….सुमन लता त्यागी

17. मुक्ति की आकांक्षा

चिड़िया को लाख समझाओ
कि पिंजड़े के बाहर
धरती बहुत बड़ी है, निर्मम है,

वहॉं हवा में उन्‍हें
अपने जिस्‍म की गंध तक नहीं मिलेगी।
यूँ तो बाहर समुद्र है, नदी है, झरना है,

पर पानी के लिए भटकना है,
यहॉं कटोरी में भरा जल गटकना है।
बाहर दाने का टोटा है,

यहॉं चुग्‍गा मोटा है।
बाहर बहेलिए का डर है,
यहॉं निर्द्वंद्व कंठ-स्‍वर है।

फिर भी चिड़िया
मुक्ति का गाना गाएगी,
मारे जाने की आशंका से भरे होने पर भी,

पिंजरे में जितना अंग निकल सकेगा, निकालेगी,
हरसूँ ज़ोर लगाएगी
और पिंजड़ा टूट जाने या खुल जाने पर उड़ जाएगी

….सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

Short Poem for Class 8

18. हम होंगे कामयाब एक दिन

Hindi Poem for Class 8

हम होंगे कामयाब,
हम होंगे कामयाब एक दिन
हो हो हो मन मे है विश्वास, पूरा है विश्वास

हम होंगे कामयाब एक दिन
हम चलेंगे साथ-साथ
डाल हाथों में हाथ

हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन

होंगी शांति चारो ओर
होंगी शांति चारो ओर एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

होंगी शांति चारो ओर एक दिन
नहीं डर किसी का आज
नहीं डर किसी का आज एक दिन

मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
नहीं डर किसी का आज एक दिन
हो हो हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

हम होंगे कामयाब एक दिन

….गिरिजाकुमार माथु

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