Hindi Poem for Class 3 | कक्षा 3 के लिए हिंदी कविता

Through this poem, we give a message to the children that Hindi language is very important for them and they should understand and learn it. Apart from this, through this poem, we also teach children about the ideals that a good boy or girl should have. Hindi Poem for Class 3 this poem tells them about good behavior, manners, understanding and healthy state of mind both in their school and at home. In short, this poem enables children to move forward in their lives with a full cultural experience.

Hindi Poem for Class 3

Hindi Poem for Class 3

Today we have brought before you a very beautiful Hindi poem, which has been made for children. This poem teaches children about values, ethics and good manners. Hindi Poem for Class 3 this poem is a part of our culture and heritage which we should always cherish. so let’s start the poem

Hindi Poem for Class 3 for Kids

1. नन्हा पौधा बनता पेड़

नन्हा पौधा बनकर पेड़,
देता है हरियाली ढेर।

फल-फूल नित हमको बांटे,
रोग-दोष सब यही छांटे।

आम-पीपल-नीम हो बेर,
देता है हरियाली ढेर।

छांव इसकी मिले भरपूर,
कभी न हो ये हमसे दूर।

पौधे लगाओ न हो देर,
देता है हरियाली ढेर।

कोमल पत्ते नरम डाली,
राग सुनाती कूहू काली।

न करो कभी इनसे छेड़,
नन्हा पौधा बनता पेड़।

…..गोविन्द भारद्वाज

2. नये वर्ष की बधाई

Hindi Poem for Class 3

छोटू बन्दर बोला- भाई,
नये वर्ष की सबको बधाई।
हाथी, लोमड़, भालू, गीदड़,
गले मिलो सब भाई-भाई।

नया वर्ष सबको मंगल हो,
एक-दूजे को दो बधाई।
प्रण करें हम मिलकर सारे,
नहीं किसी से करें लड़ाई।

नये वर्ष की यही कामना,
जीवन में फैले खुशहाली।
नहीं किसी से वैर-भाव हो,
रैना सबकी हो उजियाली।

….महेन्द्र सिंह शेखावत

3. कर्मवीर

देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं।
रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं
काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नही
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।।

हो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भले
सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले।।
आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही
सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही

मानते जो भी है सुनते हैं सदा सबकी कही
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही
भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।।

जो कभी अपने समय को यों बिताते है नहीं
काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं
आज कल करते हुए जो दिन गँवाते है नहीं
यत्न करने से कभी जो जी चुराते हैं नहीं

बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिये
वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिये।।
व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर
वे घने जंगल जहां रहता है तम आठों पहर

गर्जते जल राशि की उठती हुई ऊँची लहर
आग की भयदायिनी फैली दिशाओं में लपट
ये कंपा सकती कभी जिसके कलेजे को नहीं
भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं।

….अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध

4. मैं यादों का पिटारा खोलू तो

मैं यादों का पिटारा खोलू तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
मैं गांव की गलियों से गुजरू

पेड़ की छांव में बैठू तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
वो हंसते मुस्कुराते दोस्त

ना जाने किस शहर में गुम हो गए,
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।
कोई मैं में उलझा है तो कोई तू उलझा है

नहीं सुलझ रही है अब इस जीवन की गुत्थी,
अब दोस्त बहुत याद आते है।
जब मैं मनाता हूं कोई त्यौहार

तो हंसते गाते दोस्त नजर आते है,
लेकिन अब तो होली, दिवाली भी मिलना नहीं होता।
कोई पैसा कमाने में व्यस्त है

तो कोई परिवार चलाने में व्यस्त है
याद करता हूं पुराने दिन तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते है।

…..डॉ हरिवंश राय बच्चन

Hindi Poem for Class 3 Competition

5. आज नई सज-धज से

आज नई सज-धज से
गणतंत्र दिवस फिर आया है।
नव परिधान बसंती रंग का
माता ने पहनाया है।

भीड़ बढ़ी स्वागत करने को
बादल झड़ी लगाते हैं।
रंग-बिरंगे फूलों में
ऋतुराज खड़े मुस्काते हैं।

धरनी मां ने धानी साड़ी
पहन श्रृंगार सजाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।
भारत की इस अखंडता को

तिलभर आंच न आने पाए।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
मिलजुल इसकी शान बढ़ाएं।
युवा वर्ग सक्षम हाथों से

आगे इसको सदा बढ़ाएं।
इसकी रक्षा में वीरों ने
अपना रक्त बहाया है।
गणतंत्र दिवस फिर आया है।

….निर्मला श्रीवास्तव

6. सर्दी रानी

सर्दी रानी आओ जी,
साथ रजाई लाओ जी।
चुन्नू राजा रूठ रहे,
लोरी आकर गाओ जी।

पांव हमारे ठिठुर रहे,
हीटर जरा जलाओ जी।
भूख लगी है जोरों से,
किशमिश जरा खिलाओ जी।

पढ़ना लिखना याद रहे,
ऐसा गुर सिखलाओ जी।
शिक्षक का सम्मान करें,
सुन्दर सबक पढ़ाओ जी।

….राजेंद निशेश

7. कोशिश कर हल निकलेगा

कोशिश कर, हल निकलेगा
आज नहीं तो, कल निकलेगा.
अर्जुन के तीर सा सध

मरूस्थल से भी जल निकलेगा.
मेहनत कर, पौधों को पानी दे
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा.

ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे
फ़ौलाद का भी बल निकलेगा
जिंदा रख, दिल में उम्मीदों को

गरल के समंदर से भी गंगाजल निकलेगा.
कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की
जो है आज थमा-थमा सा, चल निकलेगा

….आनंद पर

8. गतिमय विशाल हिम चन्द्रभाल

Hindi Poem for Class 3

गतिमय विशाल हिम चन्द्रभाल,
सतरंग थाल सम रस रत है।
आ रही पुकार नित बार-बार ,
वह जगत जयत जय भारत है।

निश्छल प्रतीति,रस छन्द रीति,
सहित्य प्रीति छवि छलकत है।
निर्वेद मुक्त सत्कीर्ति युक्त,
वह जगत जयत जय भारत है।

अविचल सुशील,कंचन सी झील,
विध विध सुरील स्वर मोहत हैं।
संस्कृति के टील,हैं मील -मील ,
वह जगत जयत जय भारत है।

….सूर्यांश नेमा

9. फल

आम फलों का राजा है,
पीला मीठा ताजा है।
रस से भरा है इसका तन,
मोह लेता है सबका मन।

तरबूजे का मोटा पेट,
जैसे हो वो कोई सेठ।
खरबूजा उसका बेटा,
खेतों में वो है लेटा।

लीची के गुच्छे प्यारे,
बागों में लगते न्यारे।
ये सब हैं गरमी के फल,
जिनको खाकर मिलता बल।

….रेनू भटनागर

Patriotic Poem in Hindi

10. उठो कन्हैया जागो भैया

उठो कन्हैया
जागो भैया
पूरब में सूरज उगाया
अंधियारे को दूर भगाया।

सदा जरूरी
नींद भी पूरी
भोर में सोना गलत बताया।

मां ने गोदी ले दुलराया
चिड़िया चहकी
बगिया महकी
फूलों का चेहरा मुस्कुराया।

भंवरों ने गुनगुन गाया
पवन सुगंधी मंदी मंदी
भर लाई सेहत की माया
तन को छूती मन हरषाया।

भोर में जगना
रोज घूमना
सेहत का यह राज कहाया
दादाजी ने मंत्र बताया।

उठो कन्हैया
जागो भैया
पूरब में सूरज उगाया
अंधियारे को दूर भगाया।

उठो कन्हैया
जागो भैया
पूरब में सूरज उगाया
अंधियारे को दूर भगाया।

सदा जरूरी
नींद भी पूरी
भोर में सोना गलत बताया।

मां ने गोदी ले दुलराया
चिड़िया चहकी
बगिया महकी
फूलों का चेहरा मुस्कुराया।

भंवरों ने गुनगुन गाया
पवन सुगंधी मंदी मंदी
भर लाई सेहत की माया
तन को छूती मन हरषाया।

भोर में जगना
रोज घूमना
सेहत का यह राज कहाया
दादाजी ने मंत्र बताया।

उठो कन्हैया
जागो भैया
पूरब में सूरज उगाया
अंधियारे को दूर भगाया।

….विनीत

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11. वरदान माँगूँगा नहीं

यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं ।
वरदान माँगूँगा नहीं ।।

स्‍मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खण्डहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्‍व की सम्पत्ति चाहूँगा नहीं ।
वरदान माँगूँगा नहीं ।।

क्‍या हार में क्‍या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही ।
वरदान माँगूँगा नहीं ।।

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं ।
वरदान माँगूँगा नहीं ।।

चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्त्तव्य पथ से किन्तु भागूँगा नहीं ।
वरदान माँगूँगा नहीं ।।

….शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

12. बिल्ली रानी

बिल्ली रानी बड़ी सयानी,
तुम खूब करती शैतानी।
कई चूहे पकड़े हैं उसने,
जैसे शेरनी की है नानी।
बिल्ली रानी बिल्ली रानी।।

बिल्ली मौसी नाम जुबानी,
म्याऊँ-म्याऊँ है गाया करती।
हर चूहे पर रौब जमाती,
दूध-मलाई चाट कर खाती।
बिल्ली रानी बिल्ली रानी।।

बिल्ली रानी करती मनमानी,
घर-घर ताक-झांक वह करती।
घूमे जैसे कोई महारानी,
दूर से आँखे ही चमकाती।
बिल्ली रानी, बिल्ली रानी।।

बचपन से ही करे नादानी,
जल्दी से हाथ नहीं है आनी।
कूद-फांद की शुरू कहानी,
खुद को समझे शेर की नानी
बिल्ली रानी बिल्ली रानी।।

….खेमराज साहू

13. आओ बच्चों तुम्हें सुनाऊं

Hindi Poem for Class 3

आओ बच्चों तुम्हें सुनाऊं,
गाथा वीर जवानों की l

हंसते-हंसते आजादी के लिए सीने पर गोली खाई,
एक मां के बेटे ने देश के लिए अपनी जान गवाई l

दिलाई आजादी देश को शान से ,
वीर शहीदों ने अपने बलिदान से l

तैनात है वह हर जगह लेने दुश्मन के और देने अपने प्राण,
गुलामी की जंजीरों से दिलाई आजादी हो कुर्बान ll

इस आजादी की बेला में हम तिरंगा लहराते हैं,
आओ सब मिलकर देश के वीरों के लिए भारत मां को शीश झुकाते हैं l

स्वतंत्रता दिवस देश की शान है,
वीर जवान मेरे देश का अभिमान है

….श्रेया खोसला

14. दोस्ती एक विश्वास

प्रेम और त्याग के धागे से जुड़ा,
एक विश्वास है दोस्ती।

दुनिया के सभी रिश्तों में,
सबसे खास है दोस्ती।

दिलों को दिलों से जोड़ने वाला,
एक प्यारा अहसास है दोस्ती।

जीवन में घोलदे जो रस,
वह मिठास है दोस्ती।

पूरी हो जाये जो हरदम,
वह आस है दोस्ती।

होठों पर ला दे जो मुस्कुराहट,
वह हास है दोस्ती।

जीवन में भर दे संगीत,
वो साज है दोस्ती।

जीना सिखलाता है जो,
वो अंदाज है दोस्ती।

….निधि अग्रवाल

Short Poem for Class 3

15. काले बादल आये

काले बादल नभ में छाये,
गर्जन करते नभ में आये।
झर-झर, झर-झर पानी बरसा,
वन में मोर नृत्य दिखलाये।

टर्र-टर्र, करते हैं मेंढ़क,
झींगुर भी झंकार सुनायें।
हरियाली छाये चहुं ओर,
सूरज आ ज्योति बिखराये।

ची-ची, चीं-चीं करते पक्षी,
नभ में उड़ते पंख फैलाये ।
चले किसान खेत की ओर,
बच्चे विद्यालय को धाये।

….राजन श्रीवास्तव

16. मैं भारतमाता का पुत्र प्रतापी

मैं भारतमाता का पुत्र प्रतापी,
सीमा की रक्षा करता हूं।
जो आके टकराता है,

अहम चूर भी करता हूं।
दुश्मन की कोई भी,
दाल न गलती।

लड़कर दूर भगाता हूं,
अपने भारत के वीर गीत को,
हर मौके पर गाता हूं।

आतंकवादी अवसरवादी,
आने से टकराते हैं।
आ गए मेरी भूमि में,

तहस-नहस हो जाते हैं।
अपने देश की माटी का,
माथे पर तिलक लगाता हूं।

….शंभू नाथ

17. प्रकृति से प्रेम करें

आओ आओ प्रकृति से प्रेम करें,
भूमि मेरी माता है,
और पृथ्वी का मैं पुत्र हूं।

मैदान, झीलें, नदियां, पहाड़, समुंद्र,
सब मेरे भाई-बहन है,
इनकी रक्षा ही मेरा पहला धर्म है।

अब होगी अति तो हम ना सहन करेंगे,
खनन-हनन व पॉलीथिन को अब दूर करेंगे,
प्रकृति का अब हम ख्याल रखेंगे।

हम सबका जीवन है सीमित,
आओ सब मिलकर जीवन में उमंग भरे,
आओ आओ प्रकृति से प्रेम करें।

प्रकृति से हम है प्रकृति हमसे नहीं,
सब कुछ इसमें ही बसता,
इसके बिना सब कुछ मिट जाता।

आओ आओ प्रकृति से प्रेम करें।

….नरेंद्र वर्मा

18. प्रेम में पहाड़

पहाड़ सिर्फ़ नदियों के प्रेमी नहीं
पिता भी होते हैं
पहाड़ों का स्वभाव है पिता होना

मैंने नहीं सोचा कभी
किसी पूर्वज का तारा हो जाना
मैंने माना, वे शायद पहाड़ हो जाते होंगे

पृथ्वी पर सबसे पहले जन्म किसका हुआ?
नदियों का!
पहाड़ों ने सदियों

अपनी कोख में पाला है नदियों को
और कहलाए हैं सबसे पहले माँ
पिता हो जाना

पहाड़ों नें, माँ हो जाने के बाद ही जाना
वे जानते हैं
प्रेमी हो जाना आसान नहीं

इसलिए वे हो जाते हैं तपस्वी
और जटाओं में बाँधते हैं
नदियों की चिंताएँ सारी

पहाड़ सिर्फ़ नदियों के प्रेमी नहीं
…कि उनका मौन
नदियों की कलकल में हमेशा बहता रहता है

….सौरभ अनंत

19. अग्निपथ

वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,

अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।

तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,

अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।

यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,

अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।

…..हरिवंश राय बच्चन

Poem for Class 3 in Hindi

20. बच्चे दिल के सच्चे

बच्चे दिल के सच्चे,
सबको प्यारे लगते।

हंसते मुस्कुराते बच्चे,
अपनी ही दुनिया में खोए रहते।

दौड़ भाग उछल कूद करते बच्चे,
सबको प्यारे लगते बच्चे।

तोतली बोली बोल कर,
सबको अपना बना लेते बच्चे।

मासूम सी प्यारी शरारते करते बच्चे,
बच्चे दिल के सच्चे।

ना किसी से बैर रखते बच्चे,
सबके साथ घुलमिल जाते।

अपनी बात मनवाने हो तो रो देते,
बच्चे सबको प्यारे लगते।

….नरेंद्र वर्मा

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